Rye In Hindi | राई खाने के फायदे और नुकसान | Rye Khane Ke Fayde or Nuksan

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Rye In Hindi, Black mustard seeds benefits, राई जिसे सरसों के बीज भी कहा जाता है, औषधीय गुणों से भरपूर होती है. आज हम आपको इसके ऐसे फायदे बताने जा रहे हैं जिनके बारे में शायद ही आप जानते हों. राई खाने के फायदे और नुकसान, Rye Meaning In Hindi, About Rye, Health Benefits Of Rye In Hindi Raai Ke Fayde


Rye In Hindi
Rye In Hindi


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Health Benefits Of Rye Seeds: विटामिन और मिनरल्स से भरपूर राई के बीज भारतीय व्यंजनों में खासतौर पर इस्तेमाल होते हैं। छोटे गोल काले ये बीज राई के नाम से मशहूर हैं। नाश्ते से लेकर डिनर तक, अचार से लेकर रायते तक हर जगह इन राई के बीजों का इस्तेमाल होता है। आज हम आपको राई को डाइट में शामिल करने के फायदों के बारे में बताएंगे। आइए जानें, राई के बीजों के फायदों के बारे में।


राई से होता है कैंसर से बचाव | Rye Protects Against Cancer

राई के बीज ग्लूकोसाइनोलेट्स और मायरोसिनेज जैसे यौगिकों से भरपूर होते हैं। जो शरीर में कैंसर पैदा करने वाली कोशिकाओं के विकास को रोकते हैं।


राई से सिरदर्द से मिलती है राहत | Rye Gives Relief From Headache

सिरदर्द और माइग्रेन से पीड़ित होने पर भी राई के बीज प्रभावी होते हैं। बीज मैग्नीशियम से भरपूर होते हैं जो हमारे नर्व्स सिस्टम को शांत करते हैं और हमारे शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द और खिंचाव से राहत देते हैं।


राई पाचन के लिए है बेहतर | Rye Is Better For Digestion

राई डायजेस्टिव सिस्टम के लिए भी बहुत अच्छी होती हैं। अगर आप अपच की समस्या से जूझ रहे हैं तो राई के बीज इससे छुटकारा पाने में मदद कर सकते हैं। बीज फाइबर से भरपूर होते हैं। जो कब्ज की समस्या को दूर कर आसानी से मल त्यागने में मदद करते हैं और शरीर की पाचन शक्ति को बढ़ाते हैं।


राई की गिनती सरसों की जाति में होती है। इसका दाना छोटा व काला होता है। सामान्यत राई और सरसों अलग अलग होते है।


छोटी-छोटी गोल-गोल राई लाल और काले दानों में अक्सर मिलती है। विदेशों में सफेद रंग की राई भी मिलती हैं। राई के दाने सरसों के दानों से काफी मिलते हैं। बस राई सरसों से थोड़ी छोटी होती है। राई ग्रीष्म ऋतु में पककर तैयार होती है। राई के बीजों का तेल भी निकाला जाता है।


राई का रबी तिलहनी फसलों में प्रमुख स्थान है। इसकी खेती सीमित सिचाई की दशा में अधिक लाभदायक होती है।


राई के दाने सरसों के दानों से काफी मिलते हैं, लेकिन कई लोग इन दोनों को एक ही समझ लेते हैं। हालांकि ये दोनों अलग-अलग होते हैं, लेकिन राई की गिनती सरसों की जाति में ही होती है। इसका दाना छोटा और काला होता है। विदेशों में सफेद रंग की राई भी मिलती है। दरअसल, राई के बीजों का तेल निकाला जाता है और उसका उपयोग भोजन बनाने में किया जाता है। घरों में अचार बनाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। यह सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है, क्योंकि यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें विटामिन से लेकर मैंगनीज, तांबा, मैग्नीशियम, फास्फोरस, डाइटरी फाइबर और फिनालिक एंटीऑक्सीडेंट आदि पाए जाते हैं। राई के दानों का इस्तेमाल स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं के इलाज में किया जाता है। आइए जानते हैं इसके फायदों के बारे में... 


राई सिर दर्द और माइग्रेन में है लाभकारी | Rai Is Beneficial In Headache And Migraine

राई के दानों को सिर दर्द और माइग्रेन की समस्या में बहुत लाभकारी माना जाता है। अगर आप इन समस्याओं से जूझ रहे हैं तो राई का सेवन करने के अलावा इसे पीसकर माथे पर भी लगा सकते हैं। इससे आपको सिर दर्द और माइग्रेन से राहत मिलेगी।


राई दांत दर्द में है लाभदायक | Rai Is Beneficial In Toothache

दांत दर्द की समस्या अक्सर लोगों को परेशान करती है। ऐसे में इस समस्या से राहत पाने के लिए आप राई का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए पहले राई को पीस लें और फिर उसे पानी में मिलाकर उससे कुल्ला करें। इससे दांत का दर्द ठीक हो सकता है। इसके अलावा अगर आप राई के तेल में सेंधा नमक मिलाकर उसे दांतों और मसूड़ों पर मलें तो मसूड़ों से संबंधित परेशानियों से राहत मिलेगी।


राई खांसी और कफ से दिलाती है आराम | Rye Gives Relief From Cough And Phlegm

अगर आपको खांसी हो और कफ गाढ़ा हो जाए और वह आसानी से नहीं निकलता है तो इसके लिए आप 500 मिग्रा. राई में 250 मिग्रा. मिश्री मिलाकर उसका सेवन सुबह-शाम करें। इससे कफ पतला होकर आसानी से बाहर निकलने लगेगा।

राई अपच और पेट दर्द में है फायदेमंद | Rye Is Beneficial In Indigestion And Stomach Ache.

राई का सेवन पाचन तंत्र को सही रखने में मदद करता है। दरअसल, यह खाने को पचाने में मदद करती है। इसके लिए आप 1-2 ग्राम पीसे हुए राई में शक्कर मिलाकर आधा कप पानी के साथ सेवन करें। इससे पाचन तंत्र तो सही रहेगा ही, साथ ही अपच और पेट दर्द से भी राहत मिलेगी।

राई के बारे में | About Rye

राई एक कठोर अनाज है जो गेहूं की तुलना में ठंढ और सूखे का अधिक सहिष्णु है। अक्सर उन परिस्थितियों में उगाया जाता है जहां अन्य अनाज विफल होते हैं। राई की सूखा सहिष्णुता उच्च विकसित जड़ प्रणाली के कारण है जो गेहूं की तुलना में 20-30% कम पानी का उपयोग करती है, हालांकि सूखे की स्थिति के तहत राई मेले की किस्मों को दूसरों की तुलना में बेहतर है। ऐतिहासिक रूप से, राई और गेहूं को गेहूं के उत्पादन के लिए गरीबों में वर्षों से जोखिम को कम करने के लिए एक साथ बोया जाता है, और इस संयोजन को “मसलिन” कहा जाता था। राई के लिए गेहूं को प्रजनन करने से ट्राइकाइट पैदा होता है, जिसमें राई क्रोमोसोम का एक सेट और गेहूं क्रोमोसोम के 3 सेट होते हैं।


राई खाने के फायदे और नुकसान हिंदी में | Benefits and side effects of Eating Rye in hindi

Rye Khane ke Fayde | राई के फायदे

  1. राई उत्पाद फाइबर से भरपूर होते हैं
  2. राई कम इंसुलिन परिणाम, कम मात्रा ग्लूकोस गुण प्रदान करता है
  3. राई पाचन तंत्र के कार्य में सुधार करता है
  4. मधुमेह वाले लोगों के लिए राई वास्तव में एक अच्छा अनाज है
  5. राई आपके पाचन तंत्र को बेहतर बनाती है
  6. राई आपके रक्तचाप को कम करती है
  7. राई फेनोलिक जैसे महत्वपूर्ण एंटीऑक्सिडेंट से भर जाती है
  8. राई के बीज में पॉलीफेनोल होते हैं, जिसमें एंटीऑक्सिडेंट गतिविधि होती है।
  9. राई अस्थमा से बचाता है
  10. राई आपके दिल के लिए अच्छी है
  11. राई के पानी और राई के तेल के फायदे भी हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं
  12. इसका उपयोग पशुधन को खिलाने के लिए भी किया जाता है।

Rye Khane ke Nuksan | राई खाने के नुकसान

राई ग्लूटेनस फूड की श्रेणी में आता है, इसलिए यदि आपको ग्लूटेन एलर्जी है, तो इस अनाज से पूरी तरह से बचना सबसे अच्छा है। यदि आप सुनिश्चित नहीं हैं कि आपको क्रैनबेरी से एलर्जी है या नहीं, तो पैच परीक्षण करना हमेशा मदद कर सकता है। एक सामान्य नोट पर, अपने आहार या जीवन शैली में कुछ भी नया जोड़ने से पहले एक चिकित्सक से परामर्श करना हमेशा सबसे अच्छा होता है।


What Is Rye In Hindi: डॉक्टर से ज़्यादा उपयोगी है राई

राई का पहाड़ बनाने वाली कहावत तो आपने जरूर सुनी होगी। जी हां, ये वही राई है जिसकी खेती देश भर में की जाती है और लगभग सभी घरों में राई का उपयोग भी किया जाता है। इसके बाद भी राई की पहचान को लेकर कुछ भ्रम आज भी है। कुछ लोग सरसों तथा राई को एक ही मानते हैं, लेकिन सच यह है कि ये दोनों एक नहीं है। आमतौर पर लोग राई या राई के तेल का प्रयोग केवल आहार के लिए करते हैं। यही कारण है कि लोगों को राई के उपयोग के बारे में पूरी जानकारी नहीं है। क्या आप जानते हैं कि राई एक बहुत ही गुणी औषधि भी है जिसके प्रयोग से एक-दो नहीं बल्कि अनेक रोगों को ठीक किया जा सकता है?


आयुर्वेदिक किताबों के अनुसार आप राई का प्रयोग कर कफ-पित्त दोष, रक्त विकार को ठीक कर सकते हैं। राई खुजली, कुष्ठ रोग, पेट के कीड़े को खत्म करता है। राई के पत्तों की सब्जी स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी होती है। इससे भी कई रोग ठीक होते हैं। राई का तेल सिर दर्द, कान के रोग, खुजली, कुष्ठ रोग, पेट की बीमारी में फायदेमंद होता है। यह अपच, भूख की कमी, बवासीर और गठिया में भी लाभदायक होता है। राई मूत्र रोग में भी उपयोग होता है। इतना ही नहीं, काली राई त्रिदोष को ठीक करने वाला और बवासीर में फायदेमंद होता है। यह सांसों की बीमारी, अपच, दर्द, गठिया आदि में भी लाभदायक होता है। आइए आपको राई के उपयोग से होने वाले एक-एक फायदे के बारे में बताते हैं।


राई क्या है? | What is Rye in Hindi?

सरसों और राई से सब परिचित हैं और अधिकांश लोग दोनों को एक ही मानते हैं लेकिन दोनों पूरी तरह से भिन्न-भिन्न है। चिकित्सा कार्यों में राई की दो प्रजाति का प्रयोग किया जाता है।


राई | Brassica juncea (Linn.) Czein. & Coss.

राई का पौधा सीधा, 1.5 मीटर तक ऊँचा, शाखा-प्रशाखायुक्त होता है। इसके फूल चमकीले पीले रंग के होते हैं। बीज (rai seeds) छोटे, लाल-भूरे रंग के, गोलाकार तथा झुर्रीदार होते हैं। इसमें फूल एवं फल खेती के तीन माह बाद होता है।



काली राई | Brassica nigra (Linn.) Koch.

काली राई का पौधा 60-90 सेमी ऊँचा, कठोर, बहुशाखीय होता है। इसके फूल पीले रंग के होते हैं। इसकी फली 0.6-1.2 सेमी लम्बी होती है जिसमें आगे के भाग पर नुकीली होती है। बीज भूरे-श्यामले रंग के, 3-5 की संख्या में, गोलाकार होते हैं। बीज (rai seeds) लगभग एक पंक्ति में व्यवस्थित होते हैं। इसमें फूल एवं फल दिसम्बर से जनवरी तक होता है। इसके पौधे में कैलस (Callus), अनॉक्सीकारक एवं जीवाणुरोधी गुण होता है।


अनेक भाषाओं में राई के नाम | Name of Raai in Different Languages

राई का वानस्पतिक नाम Brassica juncea (Linn.) Czein. & Coss. (ब्रैसिका जन्सिआ) Syn-Sinapsis juncea Linn. है और यह Brassicaceae (ब्रैसिकेसी) कुल का है। राई को देश-विदेश में इन नामों से भी जाना जाता हैः


  • Rye In Hindi – राई, लाल राई, माकड़ा राई काली राई - बनारसी राई, राजिका भेद
  • Rye In English – ब्राउन मस्टर्ड (Brown mustard), कॉमन इण्डियन मस्टर्ड (Common Indian mustard), Indian mustard (इंडियन मस्टर्ड) काली राई - ब्लैक मस्टर्ड (Black mustard)
  • Rye In Sanskrit – आसुरी, तीक्ष्णगंधा, क्षुज्जनिका, राजिका, राजी, क्षुदभिजनक, कृष्णिका, कृष्णसर्षप काली राई - राजक्षवक, राजसर्षप, कृष्णसर्षप
  • Rye In Urdu – राई (Rai) काली राई - राई (Rai)
  • Rye In Kashmiri – असुर (Asur) काली राई - 
  • Rye In Konkani – ससम (Sasam) काली राई - 
  • Rye In Kannada – सासि (Sasi), सासिवे (Saasivey) काली राई - विलेससिवे (Vilaesasive), बिली (Bili)
  • Rye In Gujarati – सरसवा (Sarsva), राइ (Rai) काली राई - रेडो (Redo)
  • Rye In Tamil – कडुगु (Kadugu), चेरुकटुकु (Cherukatuku) काली राई - कडुगू (Kadugu)
  • Rye In Telugu – आबालु (Abalu), आवालु (Avalu) काली राई - अवालू (Avalu)
  • Rye In Bengali – सरीसा (Sarisa), राइ (Rai), सरिषा (Sarisha) काली राई - कालसर्षे (Kaalsarshe), राईसारीशा (Raisarisha)
  • Rye In Marathi – मोहरी (Mohari), रायन (Rayan),  राई (Rai) काली राई - काणतिखी (Kantikhi)
  • Rye In Malayalam – कडुगु (Kadugu), कडूका (Kaduka) काली राई - 
  • Rye In Arabic – खरदेल (Khardel), खर्दल हिन्दी (Khardal hindi) काली राई - खरडाल (Khardl), खीरडाल (Khirdal)
  • Rye In Persian – सर्शपैं (Shearshaf) काली राई - सरशाफ (Sarshaf)
  • Rye In Nepali – काली राई - काल तोरी (Kal tori)

राई के औषधीय गुण | Rye Benefits and Uses in Hindi

राई सिर्फ मसाले के रूप में नहीं औषधी के रूप में भी आयुर्वेद में प्रयोग किया जाता है। राई  के औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-


आंखों के रोग में राई का उपयोग फायदेमंद | Rye Benefits in Cure Eye Disease in Hindi

आंखों की पलकों पर फुन्सी होने पर राई के दाने के चूर्ण को घी में मिला लें। इसका लेप करने से यह बीमारी तुरन्त ठीक हो जाती है।


फुंसी और खुजली में राई का प्रयोग लाभदायक | Benefits of Rye in Cure Boil and Itching Problem in Hindi

राई का काढ़ा बनाकर उससे सिर धोने से बाल गिरने बन्द हो जाते हैं तथा सिर के जूं, फुंसी तथा खुजली आदि रोग दूर हो जाते हैं।


कक्षा (बगल या काँख) में होने वाली गांठ को पकाने के लिए, गुड़, गुग्गुल और राई को बारीक पीसकर, जल में मिला लें। इसे कपड़े की पट्टी पर लेप कर चिपका दें। गांठ पककर फूट जाती है।


सिर दर्द में राई से लाभ | Rye Benefits in Relief from Headache in Hindi

अगर आप सिरदर्द से हमेशा परेशान रहते हैं तो राई को पीसकर मस्तक पर लगाने से सिर दर्द में लाभ होता है।

जुकाम में राई से लाभ | Uses of Rye in Cure Cold Disease in Hindi

राई के फायदे से आप जुकाम का इलाज कर सकते हैं। इसके लिए 500-750 मिग्रा राई तथा 1 ग्राम शक्कर को मिलाकर जल के साथ सेवन करें। इससे जुकाम दूर हो जाता है।


कान की सूजन में राई का इस्तेमाल लाभदायक | Rye Benefits in Ear Swelling in Hindi

राई के आटे को सरसों के तेल या एरंड तेल (rye ka tel) में मिलाकर कान के जड़ पर लेप करें। इससे कान के जड़ के आस-पास होने वाली सूजन में लाभ होता है।


कान का बहना या कान के घाव में राई से लाभ | Rye Benefits in Ear Disease Treatment in Hindi

100 मिली सरसों तेल या तिल तेल को अच्छी प्रकार से उबालें। उबाल आने पर आंच बन्द कर दें। कुछ ठंडा होने पर 10 ग्राम राई के दाने (rai ke daane), 10 ग्राम लहसुन और डेढ़ ग्राम कपूर डालकर ढक कर रख दें। ठंडा होने पर छानकर, बोतल में भरकर रख लें। इसे कान में 4-5 बूंदे डालते रहने से कान का बहना रुक जाता है और कान के घाव ठीक होते हैं।

दांतों के दर्द में राई के प्रयोग से लाभ | Rye Uses to Treat Dental Disease in Hindi

राई को पीसकर गुनगुने जल में मिलाकर कुल्ला करने से दांत का दर्द का ठीक होता है।


मसूड़ों के रोग में राई के उपयोग से फायदा | Rye Benefits in Cure Gum Disease in Hindi

राई के तेल में सेंधा नमक मिलाकर दांतों पर मलने से मसूड़ों से सम्बन्धित विकारों में लाभ होता है।


सांसों की बीमारी में राई के उपयोग से लाभ | Rye Seeds Uses for Respiratory Disease in Hindi

आप राई के फायदे सांसों के रोग में भी ले सकते हैं। 500 मिग्रा राई चूर्ण में घी तथा मधु मिलाकर, सुबह-शाम सेवन करें। इससे सांसों के रोग में लाभ होता है।


कफ दोष में राई के प्रयोग से फायदा Benefits of Rye in Kafaj Vikar in Hindi

खांसी हो और कफ गाढ़ा हो जाए तथा आराम से कफ ना निकलता हो तो, 500 मिग्रा राई, बनाएं 250 मिग्रा और मिश्री मिलाकर सुबह-शाम लें। इससे कफ पतला होकर सरलता से बाहर निकलने लगता है।


राई के इस्तेमाल से ह्रदय रोगों का इलाज | Rye Seeds Benefits for Heart Disorder in Hindi

राई की पत्तियों में कोलेस्ट्रॉल कम करने का गुण पाया जाता है। ये पत्तियां कोलेस्ट्रॉल को कम करके दिल की बीमारियों से बचाव करती हैं।हृदय में कम्पन या दर्द हो, व्याकुलता और बैचेनी हो, कमजोरी महसूस होती हो तो हाथ-पैरों पर राई के चूर्ण की मालिश करने से लाभ होता है।


हैजा में राई के इस्तेमाल से फायदा | Rye Benefits in Cure Cholera in Hindi

हैजा में जब रोगी को बहुत उलटी दस्त होते हों तो राई को पीसकर पेट पर लेप करने से उलटी-दस्त बन्द हो जाते हैं। किसी भी प्रकार की उलटी-दस्त में पेट पर राई का लेप करने से लाभ होता है। हैजे की शुरुआती अवस्था में 1 ग्राम राई को शक्कर के साथ सेवन कराने से लाभ होता है।


उल्टी की परेशानी में राई से फायदे | Uses of Rye to Stop Vomiting in Hindi

राई के फायदे (rai ke fayde)उल्टी को रोकते हैं। राई तथा कर्पूर को पीसकर थोड़ा गर्म कर पेट पर लेप करने से उल्टी में लाभ होता है।


अपच और पेट दर्द में राई से फायदे | Rye Uses in Cure Indigestion and Abdominal Pain in Hindi

राई का सेवन हाजमे को अच्छा रखने में मदद करता है क्योंकि राई पाचक रसो के स्त्राव को बढ़ाकर खाने को पचाने में मदद करती है। इसके लिए 1-2 ग्राम राई चूर्ण में, शक्कर मिलाकर सेवन करें। साथ में आधा कप पानी पीने से हाजमा दुरूस्त होने के साथ ही पेट का दर्द भी ठीक होता है।


राई का प्रयोग कर पेट की गैस का इलाज | Rye Uses for Cure Acidity in Hindi

2 ग्राम राई में शक्कर मिलाकर सेवन करें और ऊपर से 750 मिग्रा से 1 ग्राम चूने को आधा कप जल में मिलाकर पिलाने से पैट की गैस में लाभ होता है।


राई का उपयोग कर लिवर-तिल्ली विकार का उपचार | Uses of Rye in Liver and Spleen Disorder in Hindi

बनाए और राई के दाने (rai ke daane) को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। 500 मिग्रा-1 ग्राम चूर्ण को गोमूत्र के साथ पीने से लिवर, तिल्ली विकार में लाभ (rai benefits)होता है।


राई का इस्तेमाल कर मासिक धर्म विकार में लाभ | Rye Uses in Menstrual Disorder in Hindi

मासिक–धर्म की रुकावट हो या मासिक धर्म के समय कष्ट होता हो या मासिक धर्म स्राव कम होता हो तो गुनगुने जल में राई का चूर्ण मिला लें। रोगी स्त्री को इस जल में बैठाने (कमर में डूबे) से लाभ (rai benefits)होता है।


राई के गुण से गर्भाशय के दर्द से आराम | Benefits of Rye in Cure Uterine Pain in Hindi

गर्भाशय के दर्द या बहुत अधिक दर्द की स्थिति में राई के फायदे ले सकते हैं। नाभि के नीचे या कमर पर राई का लेप लगाने से दर्द ठीक होता है।


राई के गुण से गठिया के दर्द से आराम | Rye Benefits in Arthritis in Hindi

आर्थराइटिस में राई का उपयोग फ़ायदेमंद होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि राई में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो जोड़ों में होने वाले दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं। आइये जानते हैं गठिया या संधिशूल के इलाज में राई का उपयोग कैसे करें :

  • गठिया या सूजाक के कारण या अन्य किसी कारण से जोड़ों पर सूजन और पीड़ा हो तो राई के लेप में कपूर मिलाकर शून्य हुए अंग पर मालिश करने से बहुत लाभ होता है।
  • राई (rai in hindi)और शक्कर को पीसकर, कपड़े की पट्टी पर लेप करें और दर्द वाले स्थान पर बांधने से दर्द ठीक होता है।
  • यदि दर्द हल्का-हल्का कई दिनों तक बना रहे तो राई के दाने और सहिजन की छाल को मट्ठे में पीसकर पतला-पतला लेप करें। इससे आराम मिलता है।
  • राई के तेल (rai ka tel) में पकौड़े या पूरी तलकर खाएं। राई के तेल की मालिश कर, गुनगुने जल से स्नान करें। इससे वात विकार जैसे गठिया ठीक होता है। ध्यान रहे कि मस्तिष्क, आंख आदि कोमल भागों पर राई के तेल की मालिश ना करें।
  • दर्द वाले स्थान पर राई का लेप लगाने से लाभ होता है।

कांटा चुभने पर राई का औषधीय प्रयोग | Benefits of Rye in Fork Stinging Problem in Hindi

कांटा चुभ गया है तो राई के फायदे इसमें भी प्राप्त कर सकते हैं। त्वचा के भीतर कांटा घुस जाय तो राई के आटे में घी और शहद मिलाकर लेप करने से कांटा ऊपर आ जाता है।


शरीर की जलन में राई औषधि का उपयोग | Rye Uses in irritation and Swelling Disease in Hindi

शरीर की जलन में राई के फायदे मिलते हैं। शरीर में कहीं जलन हो रही हो और सूजन भी हो तो ऐसे रोग में राई का लेप लाभदायक होता है।


सूजन की समस्या में राई के गुण लाभदायक | Rye Reduces Swelling in Hindi

  • फेफड़ों की सूजन, लिवर की सूजन तथा श्वास नलिका में सूजन हो तो राई का लेप बहुत फायदेमन्द होता है।
  • हाथ-पैर मुड़ जाने से दर्द या सूजन आ जाय तो अरंड के पत्ते पर राई का लेप चुपड़ कर गुनगुना कर बांध देने से सूजन उतर जाती है।
  • राई के दाने और नमक को जल में पीसकर लेप करने से भी सूजन ठीक होता है।

बुखार उतारने के लिए राई औषधि का उपयोग | Rye Helps in Fighting with Fever in Hindi

आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार राई में मौजूद औषधीय गुण बुखार के लक्षणों को कम करने में सहायक हैं। इसके लिए नीचे बताए गए घरेलू उपाय अपनाएं।


जीभ पर सफेद मैल-सा जम जाय, भूख-प्यास ना लगती हो, साथ-साथ हल्का-हल्का बुखार भी रहता हो तो ऐसे लक्षणों में 500 मिग्रा राई के आटे को सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है।


बुखार और हैजा में बेहोशी आ जाने पर, कांख, छाती और जंघा पर राई का लेप प्रभावकारी है।


जहर उतारने के लिए राई के गुण का इस्तेमाल | Uses of Rye in Poisoning in Hindi

राई के फायदे जहर को भी कम करने का काम करते हैं। अफीम विष के प्रभाव से या सांप के विष प्रभाव से यदि रोगी बेहोश हो गया हो तो कांख, छाती, जांघ आदि स्थानों पर राई का लेप लगाने से बेहोशी दूर हो जाती है।


राई (rye) के 5-10 ग्राम चूर्ण को ठंडे जल में पीस लें। इसे लगभग एक-डेढ़ गिलास जल में डालकर पिला दें। इससे उल्टी होती है और जहर तत्काल शरीर से बाहर निकल जाता है। इसका सबसे बेहतर लाभ यह भी है कि अन्य उल्टी कराने वाली औषधियों की तरह इससे शरीर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है या शिथिलता नहीं आती है।


काली राई के प्रयोग से होने वाले लाभ | Benefits of Black Rye in Hindi

काली राई का उपयोग कर इन रोगों में फायदा लिया जा सकता हैः-


आधासीसी (अधकपारी) में काली राई का प्रयोग | Benefits of Black Rye in Relief from Migraine in Hindi

काली राई को पीसकर मस्तक में लेप करने से आधासीसी या अधकपारी रोग में लाभ होता है।


गंजेपन की समस्या में काली राई का उपयोग | Black Rye Benefits in Baldness Problem in Hindi

राई के फायदे से गंजेपन की समस्या में लाभ मिलता है। आधी कच्ची और आधी सेंकी हुई काली राई के दाने को पीसकर कड़वे तेल (सरसों) में मिला लें। इसे लगाने से सिर के गंजेपन में लाभ होता है।


प्रतिश्याय (जुकाम) में काली राई का इस्तेमाल | Uses of Black Rye in Cure Cold Disease in Hindi

काली राई के तेल को पैरों और पैरों के तलवे पर मालिश करें। इससे जुकाम में लाभ होता है।


नाक पर इसके तेल की मालिश करने से नाक का बहना तुरन्त बन्द हो जाता है।)


गले की सूजन में काली राई से लाभ | Rye Uses in Throat Swelling in Hindi

गले की हल्की सूजन हो तो काली राई के दाने की तेल से मालिश करने से लाभ होता है।


कब्ज की समस्या में काली राई से फायदा | Rye Benefits in Fighting with Constipation in Hindi

2-4 ग्राम काली राई के चूर्ण का सेवन करने से कब्ज ठीक होता है।


काली राई के प्रयोग से उल्टी पर रोक | Benefits of Rye to Stop Vomiting in Hindi

काली राई के फायदे से उल्टी पर रोक लगती है। काली राई को पीसकर पेट तथा वक्ष-स्थल (छाती) पर लगाने से उल्टी (वमन) बंद हो जाती है।


गठिया में लाभदायक काली राई | Benefits of Rye in Arthritis in Hindi

काली राई के तेल (rai ka tel) में कपूर मिलाकर लेप करने से भी गठिया में लाभ होता है।


काली राई के उपयोग से दाद का इलाज | Rye Benefits in Cure Ringworm in Hindi

काली राई (rye) को सिरके के साथ पीसकर लेप करने से दद्रु (दाद) का ठीक होता है।


काली राई के उपयोग से फोड़ा का इलाज | Rye Uses in Boils Treatment in Hindi

काली राई को जल के साथ पीसकर लेप करने से फोड़ा में लाभ होता है।

काली राई का लेप लगाने से गांठ की परेशानी से आराम मिलता है।


काली राई के प्रयोग से सूजन का उपचार | Benefits of Rye in Reducing S welling in Hindi

आप सूजन को ठीक करने के लिए राई के फायदे ले सकते हैं। काली राई के तेल (rai ka tel) की मालिश करने से सूजन ठीक होती है। इससे आलस्य मिटता है, चुस्ती तथा फूर्ति आती है।


रक्तविकार में काली राई से लाभ | Rye Benefits in Blood Disorder Problem in Hindi

शरीर के भीतर अगर कहीं खून का जमाव हो जाये तो वहां काली राई के तेल की मालिश करके सेंक दें। खून का जमाव खुल जाता है।


काली राई के इस्तेमाल से पित्त दोष का उपचार | Uses of Black Rye in Cure Pitta Disorder in Hindi

पित्त की सूजन में काली राई की पट्टी बांधने से बहुत जल्दी लाभ होता है।


बच्चों की खांसी में राई से फायदा | Rye Uses in Cure Children’s Cough in Hindi

बच्चों को खांसी होती है तो राई के फायदे ले सकते हैं। बच्चों की छाती पर काली राई के तेल (rai ka tel) की मालिश करने से उनकी खांसी मिट जाती है। 


बिच्छू का जहर उतारने के लिए काली राई का प्रयोग | Rye is Beneficial in Scorpion Biting in Hindi

कपास के पत्ते और काली राई के दाने को पीसकर बिच्छू के काटने वाले स्थान पर लेप करें। इससे बिच्छू के डंक का असर खत्म हो जाता है।


सांप का जहर उतारने के लिए काली राई का उपयोग | Black Rye Helps in Snake Biting Problem in Hindi

काली राई को अधिक मात्रा में खिलाने से उल्टी होती है और इससे सांप के विष का असर कम हो जाता है।


राई के उपयोगी भाग | Beneficial Part of Rye

बीज (rye seeds)

तेल (rye ka tel)


राई के प्रयोग की मात्रा | How Much to Consume Rye?

बीज चूर्ण – 1-3 ग्राम


राई की पुल्टिस बनाने की विधि (वयस्क व्यक्ति के उपयोग के लिए) | Method for making rye poultice (for adult use)

3 भाग अलसी चूर्ण और 1 भाग राई को ठंडे जल में घोटकर बनाएं।


राई की पुल्टिस बनाने की विधि (बच्चों के लिए) | Method for making poultice of rye (for babies)

राई चूर्ण 1 भाग तथा अलसी चूर्ण 10-15 गुना अधिक लें।


राई का लेप बनाने की विधि | Method for making Rye paste

  • 1 भाग राई (rai) चूर्ण और 3 गुना गेहूँ या चावल के आटे को, ठंडे जल में घोलकर आवश्यकतानुसार बनाकर प्रयोग में लाएं।
  • 1 राई की पुल्टिस या लेप कपड़े पर लगाकर प्रयोग करें।
  • अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार राई का इस्तेमाल करें।

राई से इस्तेमाल से जुड़ी सावधानियां | Precaution Tips for the Uses Of Rye

राई के इस्तेमाल से जुड़ी कुछ सावधानियां हैं जिनका आपको ध्यान रखना हैः-


  • थोड़ी मात्रा में राई का सेवन करने से भूख बढ़ती है, पसीना आता है। इसका अधिक मात्रा में सेवन वामक है।
  • लेप-राई का लेप हमेशा ठंडे जल में बनाएं।
  • राई का लेप सीधे त्वचा पर ना लगाएं, इससे फुंसी, फफोले आदि उठने का भय रहता है।
  • त्वचा के लाल होने पर लेप को उतार दें और उस अंग को पोंछ कर वहां पर घी या तेल लगा दें।
  • राई को शीतल जल के साथ महीन पीसकर लेप को साफ मलमल के कपड़े पर पतला-पतला लेपकर कपड़े को रोगग्रसित-अंग पर रख दें। धयान रहें लेप सीधा त्वचा के सम्पर्क में ना आए।
  • आंतरिक प्रयोग के लिऐ राई का छिलका उतार कर प्रयोग करें। इसके लिए राई को हल्के से पानी में भिगोकर हिलाते रहें। इसके बाद जब छिलका उतर जाये तो सुखा लें तथा पीसकर आटा बनाकर शीशी में सुरिक्षत रख लें।

राई कहां पाया या उगाया जाता है? | Where is Rye Found or Grown in Hindi?

पूरे भारत में राई (rai) की खेती की जाती है। मुख्यतः गुजरात एवं महाराष्ट्र में इसकी खेती की जाती है।

 

राई की खेती | Cultivation of Rye

ऐसा माना जाता है कि राई की उत्पत्ति तुर्की में हुई थी, हालाँकि कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि यह शायद पूर्व में भी उत्पन्न हुई होगी। यह रोमन समय के दौरान खेती की गई थी और तब से उपयोग में है। यह एक कृषि प्रधान है जो पूरी दुनिया में उगाया और पाया जाता है।


निष्कर्ष | Conclusion

राई का रबी तिलहनी फसलों में प्रमुख स्थान है प्रदेश में अनेक प्रयासों के बाद भी राई के क्षेत्रफल में विशेष वृद्घि नही हो पा रही है इसका प्रमुख कारण है कि सिचित क्षमता में वृद्घि के कारण अन्य महत्वपूर्ण फसलो के क्षेत्रफल का बढ़ना । इसकी खेती सीमित सिचाई की दशा में अधिक लाभदायक होती है। उन्न्त विधियॉ अपनाने से उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्घि होती है।


FAQ

1. Q - राई खाने से क्या फायदा होता है?

A. यह अपच, भूख की कमी, बवासीर और गठिया में भी लाभदायक होता है। राई मूत्र रोग में भी उपयोग होता है। इतना ही नहीं, काली राई त्रिदोष को ठीक करने वाला और बवासीर में फायदेमंद होता है। यह सांसों की बीमारी, अपच, दर्द, गठिया आदि में भी लाभदायक होता है।


2. Q - राई और सरसों में क्या अंतर होता है?

A. राई के दाने छोटे और काले होते हैं. वहीं, सरसों के दाने पीले और काले दोनों होते हैं. राई के दाने काली सरसों या पीली सरसों के दाने से थोड़े छोटे होते हैं. राई और काली सरसों में फर्क पहचानने के लिए आप इन्हें टेस्ट कर सकते हैं.


3. Q - राई में कौन सा विटामिन होता है?

A. राई में मौजूद पोषक तत्व (Nutrition value of Mustard seeds)

  • कैल्शियम
  • कॉपर
  • विटामिन C.
  • विटामिन A.
  • विटामिन K.
  • फाइबर
  • सेलेनियम
  • मैग्नीशियम



 
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