एकाग्रता की शक्ति पर स्वामी विवेकानंद के उद्धरण | SWAMI VIVEKANANDA’S QUOTES ON POWER OF CONCENTRATION IN HINDI

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एकाग्रता की शक्ति पर स्वामी विवेकानंद के उद्धरण, Swami Vivekananda's Quotes On Power Of Concentration In Hindi With Images, Short Biography

एकाग्रता की शक्ति पर स्वामी विवेकानंद के उद्धरण | SWAMI VIVEKANANDA’S QUOTES ON POWER OF CONCENTRATION IN HINDI


इस लेख में हमने स्वामी विवेकानंद के एकाग्रता की शक्ति पर दिए उद्धरण और टिप्पणीयों का संग्रह किया है. इसे विकिपीडिया से उनके एकाग्रता पे दिए व्याख्यानों और सत्संगों से लिया गया है. हमने इसके हिंदी अनुवाद को पूरी सावधानी से किया है, फिर भी त्रुटियों की पूरी संभावना है. हमारा पाठकों से निवेदन है की अगर आपको किसी उद्धरण के अनुवाद में कोई त्रुटि मिले या आप कोई और अच्छा अनुवाद साझा कर सके तो हमसे जरुर करे. हम आपके आभारी रहेंगे. सोत्र का लिंक नीचे दिया है.


स्वामी विवेकानंद के और उद्धरण/कथन/अनमोल वचन/अनमोल विचार यहाँ देखे

SWAMI VIVEKANANDA QUOTES IN HINDI
अभ्यास की शक्ति पर स्वामी विवेकानंद के उद्धरण/कथन/अनमोल वचन/अनमोल विचार हिंदी में | SWAMI VIVEKANANDA KE VICHAR & THOUGHTS ON POWER OF PRACTICE IN HINDI

स्वामी विवेकानंद – संछिप्त परिचय

१२ जनवरी, १८६३ – मृत्यु: ४ जुलाई,१९०२, वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु, वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त, अमेरिका स्थित शिकागो में सन् १८९३ में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया. भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन और भारतीय योग अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा. उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है. वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे.

#BOLTECHITRA 1 – एकाग्रता की शक्ति पर स्वामी विवेकानंद के उद्धरण | SWAMI VIVEKANANDA’S QUOTES ON POWER OF CONCENTRATION IN HINDI

हिंदी में :

ज्ञान का सारा रहस्य एकाग्रता है.

IN ENGLISH :

The whole secret of knowledge is concentration.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

Gyaan kaa saaraa rahasy ekaagrataa hai.
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हिंदी में :

एकाग्रता की शक्ति, ज्ञान के खजाना-घर की एकमात्र कुंजी है.

IN ENGLISH :

The power of concentration, is the only key to the treasure-house of knowledge.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

Ekaagrataa kee shakti, gyaan ke khajaanaa-ghar kee ekamaatr kunjee hai. 
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हिंदी में :

योगियों ने एक अच्छे हल का दावा किया है. उनका दावा है की मन की एकाग्रता के द्वारा ब्रम्हांड के सभी सत्य मन को प्रकट हो जाते है, सभी बाहरी और आतंरिक सत्य.

IN ENGLISH :

The Yogis claim a good deal. They claim that by concentration of the mind every truth in the universe becomes evident to the mind, both external and internal truth.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

Yogiyon ne ek achchhe hal kaa daavaa kiyaa hai. Unakaa daavaa hai kee man kee ekaagrataa ke dvaaraa bramhaanḍa ke sabhee saty man ko prakaṭ ho jaate hai, sabhee baaharee aur aatnrik saty.
(nextPage)

हिंदी में :

ज्ञान का एकमात्र तरीका है, शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक सभी स्तर पर एकाग्रता; और कई में एक की खोज करने में मन की शक्तियों को एकाग्र करना, इसे ही ज्ञान कहते है.

IN ENGLISH :

The only method of knowledge is concentration on the physical, mental, and spiritual planes; and concentrating the powers of the mind to discover one in many, is what is called knowledge.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

Gyaan kaa ekamaatr tareekaa hai, shaareerik, maanasik aur aadhyaatmik sabhee star par ekaagrataa; aur ka_ii men ek kee khoj karane men man kee shaktiyon ko ekaagr karanaa, ise hee gyaan kahate hai. 
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हिंदी में :

हम दावा करते है की मन की शक्तियों की एकाग्रता ज्ञान के लिए एकमात्र रास्ता है. बाहरी विज्ञान में, मन की एकाग्रता - उसे किसी बाह्य चीज पे केंद्रित करना है; और आन्तरिक विज्ञान में, यह - उसे स्वयम की तरफ मोड़ना है. हम इस मन की एकाग्रता को योग कहते है.

IN ENGLISH :

We claim that concentrating the powers of the mind is the only way to knowledge. In external science, concentration of mind is - putting it on something external; and in internal science, it is - drawing towards one's Self. We call this concentration of mind Yoga.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

Ham daavaa karate hai kee man kee shaktiyon kee ekaagrataa gyaan ke lie ekamaatr raastaa hai. Baaharee vigyaan men, man kee ekaagrataa - use kisee baahy cheej pe kendrit karanaa hai; aur aantarik vigyaan men, yah - use svayam kee taraf modanaa hai. Ham is man kee ekaagrataa ko yog kahate hai.
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हिंदी में :

मन विभिन्न वस्तुओं तक ले जाता है, सभी प्रकार की चीजों पर दौड़ता है. यहीं निम्न स्तर है. मन की एक उच्च अवस्था है, जब वह एक वस्तु को लेता है और बाकि सभी को पृथक कर देता है, जिसका परिणाम समाधी है.

IN ENGLISH :

The mind takes up various objects, runs into all sorts of things. That is the lower state. There is a higher state of the mind, when it takes up one object and excludes all others, of which Samadhi is the result.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

Man vibhinn vastuon tak le jaataa hai, sabhee prakaar kee cheejon par daudataa hai. Yaheen nimn star hai. Man kee ek uchch avasthaa hai, jab vah ek vastu ko letaa hai aur baaki sabhee ko prithak kar detaa hai, jisakaa pariṇaam samaadhee hai.
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हिंदी में :

इन्द्रिय-बोध शक्ति का केंद्र हमारे भीतर है, और उनके अंग बाहर; उसे मन की तरफ लगाओ और धारणा(एकाग्रता) के द्वारा मन को ध्यान में लाओ. ब्रम्ह वैसे ही ब्रम्हांड में सर्वव्यापी है जैसे दूध में मक्खन, लेकिन घर्षण उसे एक ही स्थान पर प्रकट करता है. जैसे मंथन दूध में से मक्खन को बाहर लाता है, वैसे ही ध्यान(एकाग्रता) आत्मा में ब्रम्ह का बोध कराता है.

IN ENGLISH :

The sense-centres are within, and their organs without; drive them into the mind and through Dhârâna (concentration) fix the mind in Dhyana. Brahman is omnipresent in the universe as is butter in milk, but friction makes It manifest in one place. As churning brings out the butter in the milk, so Dhyana brings the realisation of Brahman in the soul.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

Indriy-bodh shakti kaa kendr hamaare bheetar hai, aur unake ang baahar; use man kee taraf lagaa_o aur dhaaraṇaa(ekaagrataa) ke dvaaraa man ko dhyaan men laa_o. Bramh vaise hee bramhaanḍa men sarvavyaapee hai jaise doodh men makkhan, lekin gharṣaṇa use ek hee sthaan par prakaṭ karataa hai. Jaise mnthan doodh men se makkhan ko baahar laataa hai, vaise hee dhyaan(ekaagrataa) aatmaa men bramh kaa bodh karaataa hai.
(nextPage)

हिंदी में :

सभी ज्ञान जो हमारे पास है चाहे वो बाहरी दुनिया का हो या आतंरिक, उसे सिर्फ एक ही माध्यम द्वारा प्राप्त किया गया है - दिमाग की एकाग्रता के द्वारा. किसी भी विज्ञान का ज्ञान तब तक नहीं प्राप्त किया जा सकता जब तक हम उस विषय पर अपना दिमाग एकाग्र न कर सके. खगोलशास्त्री अपनी दूरबीन के माध्यम से अपने दिमाग को एकाग्र करता है और इसी तरह से अन्य भी. अगर आप अपने दिमाग का अध्यन करना चाहते है तो उसकी भी यही प्रक्रिया होगी. आपको अपने दिमाग को एकाग्र करना होगा और उसे उसके उपर ही लगाना होगा. इस दुनिया में लोगो के दिमागों में अंतर का सच सिर्फ एकाग्रता में अंतर ही है.  वो जो दुसरे की तुलना में ज्यादा एकाग्र है, ज्यादा ज्ञान प्राप्त करता है.

IN ENGLISH :

All knowledge that we have, either of the external or internal world, is obtained through only one method - by the concentration of the mind. No knowledge can be had of any science unless we can concentrate our minds upon the subject. The astronomer concentrates his mind through the telescope... and so on. If you want to study your own mind, it will be the same process. You will have to concentrate your mind and turn it back upon itself. The difference in this world between mind and mind is simply the fact of concentration. One, more concentrated than the other, gets more knowledge.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

Sabhee gyaan jo hamaare paas hai chaahe vo baaharee duniyaa kaa ho yaa aatnrik, use sirf ek hee maadhyam dvaaraa praapt kiyaa gayaa hai - dimaag kee ekaagrataa ke dvaaraa. Kisee bhee vigyaan kaa gyaan tab tak naheen praapt kiyaa jaa sakataa jab tak ham us viṣay par apanaa dimaag ekaagr n kar sake. Khagolashaastree apanee doorabeen ke maadhyam se apane dimaag ko ekaagr karataa hai aur isee tarah se any bhee. Agar aap apane dimaag kaa adhyan karanaa chaahate hai to usakee bhee yahee prakriyaa hogee. Aapako apane dimaag ko ekaagr karanaa hogaa aur use usake upar hee lagaanaa hogaa. Is duniyaa men logo ke dimaagon men antar kaa sach sirf ekaagrataa men antar hee hai. Vo jo dusare kee tulanaa men jyaadaa ekaagr hai, jyaadaa gyaan praapt karataa hai.
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हिंदी में :

एकाग्रता सभी ज्ञान का सार है;  इसके बिना कुछ भी नहीं किया जा सकता है. साधारण इंसान द्वारा सोचने की शक्ति का नब्बे प्रतिशत व्यर्थ किया जाता है, और इसीलिए वो लगातार भूल करता है.

IN ENGLISH :

Concentration is the essence of all knowledge; nothing can be done without it. Ninety per cent of thought force is wasted by the ordinary human being, and therefore he is constantly committing blunders.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

Ekaagrataa sabhee gyaan kaa saar hai;  isake binaa kuchh bhee naheen kiyaa jaa sakataa hai. Saadhaaraṇa insaan dvaaraa sochane kee shakti kaa nabbe pratishat vyarth kiyaa jaataa hai, aur iseelie vo lagaataar bhool karataa hai.
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हिंदी में :

एकाग्रता सभी ज्ञान का सार है; इसके बिना कुछ भी नहीं किया जा सकता है. साधारण इंसान द्वारा सोचने की शक्ति का नब्बे प्रतिशत व्यर्थ किया जाता है, और इसीलिए वो लगातार भूल करता है; प्रशिक्षित मनुष्य या दिमाग कभी भूल नहीं करता. जब दिमाग केंद्रित है और उसे उसके उपर ही लगाया गया है, तब जो भी हमारे अन्दर है, हमारा गुलाम होता है न की स्वामी. यूनानियों ने बाहरी दुनिया पर अपना दिमाग एकाग्र किया और परिणाम स्वरूप कला, साहित्य इत्यादि में उत्कृष्ठता मिली. हिन्दुओं ने आतंरिक दुनिया पे, स्वयम में अनदेखे स्थानों पे, अपना दिमाग केंद्रित किया और योग विज्ञान का विकास किया. योग इन्द्रियों, इच्छाशक्ति और दिमाग पे नियंत्रण करना है. इसके अध्ययन के लाभ यह है कि हम बजाय नियंत्रित किये जाने के, नियंत्रण करना सीखते है. दिमाग की कई परतें लगती है. हमारा वास्तविक लक्ष्य हमारी इन सभी हस्तक्षेप करती बीच की परतों को पार कर इश्वर को खोजना है. योग का अंत और लक्ष्य इश्वर का साक्षात्कार है. इसे करने के लिए हमे सापेक्ष ज्ञान, इन्द्रिय-आभास की दुनिया से परे जाना होगा. दुनिया इन्द्रियों के लिए जागी हुई है, भगवान् के बच्चे उस स्तर पर सोये पड़े है. दुनिया अनंतकाल से सोयी हुई है, भगवान् के बच्चे उस दायरे में जाग रहे है. ये भगवान के बेटे है. लेकिन एक रास्ता है इन्द्रियों पे नियंत्रण का - उसे देखना जो ब्रम्हांड की सच्चाई है. फिर उसके बाद ही हम वास्तव में हमारी इंद्रियों को जीत सकते हैं. 

IN ENGLISH :

Concentration is the essence of all knowledge; nothing can be done without it. Ninety per cent of thought force is wasted by the ordinary human being, and therefore he is constantly committing blunders; the trained man or mind never makes a mistake. When the mind is concentrated and turned backward on itself, all within us will be our servants, not our masters. The Greeks applied their concentration to the external world, and the result was perfection in art, literature, etc. The Hindu concentrated on the internal world, upon the unseen realms in the Self, and developed the science of Yoga. Yoga is controlling the senses, will and mind. The benefit of its study is that we learn to control instead of being controlled. Mind seems to be layer on layer. Our real goal is to cross all these intervening strata of our being and find God. The end and aim of Yoga is to realize God. To do this we must go beyond relative knowledge, go beyond the sense-world. The world is awake to the senses, the children of the Lord are asleep on that plane. The world is asleep to the Eternal, the children of the Lord are awake in that realm. These are the sons of God. There is but one way to control the senses—to see Him who is the Reality in the universe. Then and only then can we really conquer our senses.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

Ekaagrataa sabhee gyaan kaa saar hai;  isake binaa kuchh bhee naheen kiyaa jaa sakataa hai. Saadhaaraṇa insaan dvaaraa sochane kee shakti kaa nabbe pratishat vyarth kiyaa jaataa hai, aur iseelie vo lagaataar bhool karataa hai; prashikṣit manuṣy yaa dimaag kabhee bhool naheen karataa. Jab dimaag kendrit hai aur use usake upar hee lagaayaa gayaa hai, tab jo bhee hamaare andar hai, hamaaraa gulaam hotaa hai n kee svaamee. Yoonaaniyon ne baaharee duniyaa par apanaa dimaag ekaagr kiyaa aur pariṇaam svaroop kalaa, saahity ityaadi men utkriṣṭhataa milee. Hinduon ne aatnrik duniyaa pe, svayam men anadekhe sthaanon pe, apanaa dimaag kendrit kiyaa aur yog vigyaan kaa vikaas kiyaa. Yog indriyon, ichchhaashakti aur dimaag pe niyntraṇa karanaa hai. Isake adhyayan ke laabh yah hai ki ham bajaay niyntrit kiye jaane ke, niyntraṇa karanaa seekhate hai. Dimaag kee ka_ii paraten lagatee hai. Hamaaraa vaastavik lakṣy hamaaree in sabhee hastakṣep karatee beech kee paraton ko paar kar ishvar ko khojanaa hai. Yog kaa ant aur lakṣy ishvar kaa saakṣaatkaar hai. Ise karane ke lie hame saapekṣ gyaan, indriy-aabhaas kee duniyaa se pare jaanaa hogaa. Duniyaa indriyon ke lie jaagee huii hai, bhagavaan ke bachche us star par soye pade hai. Duniyaa anntakaal se soyee huii hai, bhagavaan ke bachche us daayare men jaag rahe hai. Ye bhagavaan ke beṭe hai. Lekin ek raastaa hai indriyon pe niyntraṇa kaa - use dekhanaa jo bramhaanḍa kee sachchaa_ii hai. Fir usake baad hee ham vaastav men hamaaree indriyon ko jeet sakate hain.
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हिंदी में :

एकाग्रता, ज़ाहिर है, विभिन्न स्रोतों से आती है. इंद्रियों के माध्यम से आप एकाग्रता प्राप्त कर सकते हैं. कुछ लोग इसे पाते है जब वे सुंदर संगीत सुनते है, दूसरे तब जब वो कोई मनोरम दृश्य देखते है. कुछ एकाग्र होते है काँटों के, नुकीली लोहे की कीलों के बिस्तर पे सो कर, दूसरे नुकीले कंकड़ो पर बैठ कर. ये असाधारण मामले है जिनमे सबसे अवैज्ञानिक तरीकों का उपयोग हुआ है. वैज्ञानिक प्रक्रिया धीरे-धीरे मन का प्रशिक्षण है. 

IN ENGLISH :

Concentration, of course, comes from various sources. Through the senses you can get concentration. Some get it when they hear beautiful music, others when they see beautiful scenery. ... Some get concentrated by lying upon beds of spikes, sharp iron spikes, others by sitting upon sharp pebbles. These are extraordinary cases [using] most unscientific procedure. Scientific procedure is gradually training the mind.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

Ekaagrataa, zaahir hai, vibhinn sroton se aatee hai. Indriyon ke maadhyam se aap ekaagrataa praapt kar sakate hain. Kuchh log ise paate hai jab ve sundar sngeet sunate hai, doosare tab jab vo koii manoram drishy dekhate hai. Kuchh ekaagr hote hai kaanṭon ke, nukeelee lohe kee keelon ke bistar pe so kar, doosare nukeele  knkado par baiṭh kar. Ye asaadhaaraṇa maamale hai jiname sabase avaigyaanik tareekon kaa upayog huaa hai. Vaigyaanik prakriyaa dheere-dheere man kaa prashikṣaṇa hai.
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हिंदी में :

मन की शक्तियों की एकाग्रता भगवान् के सात्क्षात्कार में हमें मदद करने के लिए एकमात्र साधन है. अगर आप एक आत्मा(आपकी अपनी) को जानते है, तो आप सभी आत्माओं, अतीत, वर्तमान और आने वाली को जानते है. इच्छा मन को एकाग्र करती है, कुछ चीजे इस इच्छा को नियंत्रित और उत्तेजित करती है, जैसे की कोई कारण, प्रेम, भक्ति, श्वास. एकाग्र मन एक दीपक है जो हमें आत्मा के हर कोने को दिखाता है. 

IN ENGLISH :

Concentration of the powers of the mind is our only instrument to help us see God. If you know one soul (your own), you know all souls, past, present, and to come. The will concentrates the mind, certain things excite and control this will, such as reason, love, devotion, breathing. The concentrated mind is a lamp that shows us every corner of the soul.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

Man kee shaktiyon kee ekaagrataa bhagavaan ke saatkṣaatkaar men hamen madad karane ke lie ekamaatr saadhan hai. Agar aap ek aatmaa(aapakee apanee) ko jaanate hai, to aap sabhee aatmaa_on, ateet, vartamaan aur aane vaalee ko jaanate hai. Ichchhaa man ko ekaagr karatee hai, kuchh cheeje is ichchhaa ko niyntrit aur uttejit karatee hai, jaise kee koii kaaraṇa, prem, bhakti, shvaas. Ekaagr man ek deepak hai jo hamen aatmaa ke har kone ko dikhaataa hai.
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हिंदी में :

हम सभी का मन किसी न किसी समय पर एकाग्र हो जाता है. हम सभी उन चीजो पर एकाग्र होते है जिन्हें हम प्रेम करते है, और हम उन चीजो से प्रेम करते है जिनके उपर हम अपने मन को एकाग्र करते है. कौन सी मां है जो अपने साधारण दिखने वाले घरेलू बच्चे के चेहरे से प्रेम नहीं करती? वो चेहरा उसके लिए दुनिया में सबसे सुंदर है. वह उससे प्रेम करती है क्योकि उसने उसके ऊपर अपने मन को एकाग्र किया है; और अगर हर एक उसी एक चेहरे पर अपने ध्यान को एकाग्र कर सके, हर एक उससे प्रेम करेगा.  वह सभी के लिए सबसे सुन्दर चेहरा होगा. हम सभी अपने दिमाग को उन चीजों पे एकाग्र करते है जिन्हें हम प्रेम करते है. जब हम सुंदर संगीत सुनते हैं, हमारा मन उससे चिपक जाता है, और हम उसे उसपर से हटा नहीं पाते. जो अपने मन को जिसे आप शास्त्रीय संगीत कहते है पर एकाग्र करते है साधारण संगीत नहीं पसंद करते और इसका उल्टा भी सत्य है. संगीत जिसमे सुर-ताल जल्दी जल्दी एक के बाद एक बदलते है आसानी से मन को एकाग्र कर लेते है. एक बच्चा जीवंत संगीत से प्रेम करता है, क्योंकि सुर-ताल का तेजी से बदलना मन को भटकने के लिए कोई मौका नहीं देता है. एक आदमी जो आम संगीत पसंद करता है, शास्त्रीय संगीत नापसंद करता है, क्योंकि वह अधिक जटिल होता है और उसे समझने के लिए बड़ी मात्रा में एकाग्रता की आवश्यकता होती है. ऐसी एकाग्रता के साथ बड़ी समस्या ये है की हम मन को नियंत्रित नहीं करते; वो हमे नियंत्रित करता है. हमसे बाहर की कोई चीज, क्योकि वह है, मन को उसमे खींचती है और तब तक उसमे पकडे रखती है जबतक वो चाहती है. हम मधुर स्वर सुनते है या एक सुंदर चित्रकारी देखते हैं, और मन बड़ी तेजी से उस पे अटक जाता है! हम उसे हटा नहीं सकते है.

IN ENGLISH :

Everybody's mind becomes concentrated at times. We all concentrate upon those things we love, and we love those things upon which we concentrate our minds. What mother is there that does not love the face of her homeliest child? That face is to her the most beautiful in the world. She loves it because she concentrates her mind on it; and if every one could concentrate his mind on that same face, every one would love it. It would be to all the most beautiful face. We all concentrate our minds upon those things we love. When we hear beautiful music, our minds become fastened upon it, and we cannot take them away. Those who concentrate their minds upon what you call classical music do not like common music, and vice versa. Music in which the notes follow each other in rapid succession holds the mind readily. A child loves lively music, because the rapidity of the notes gives the mind no chance to wander. A man who likes common music dislikes classical music, because it is more complicated and requires a greater degree of concentration to follow it. The great trouble with such concentrations is that we do not control the mind; it controls us. Something outside of ourselves, as it were, draws the mind into it and holds it as long as it chooses. We hear melodious tones or see a beautiful painting, and the mind is held fast! We cannot take it away.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

Ham sabhee kaa man kisee n kisee samay par ekaagr ho jaataa hai. Ham sabhee un cheejo par ekaagr hote hai jinhen ham prem karate hai, aur ham un cheejo se prem karate hai jinake upar ham apane man ko ekaagr karate hai. Kaun see maan hai jo apane saadhaaraṇa dikhane vaale ghareloo bachche ke chehare se prem naheen karatee? Vo cheharaa usake lie duniyaa men sabase sundar hai. Vah usase prem karatee hai kyoki usane usake oopar apane man ko ekaagr kiyaa hai; aur agar har ek usee ek chehare par apane dhyaan ko ekaagr kar sake, har ek usase prem karegaa. Vah sabhee ke lie sabase sundar cheharaa hogaa. Ham sabhee apane dimaag ko un cheejon pe ekaagr karate hai jinhen ham prem karate hai. Jab ham sundar sngeet sunate hain, hamaaraa man usase chipak jaataa hai, aur ham use usapar se haṭaa naheen paate. Jo apane man ko jise aap shaastreey sngeet kahate hai par ekaagr karate hai saadhaaraṇa sngeet naheen pasnd karate aur isakaa ulṭaa bhee saty hai. Sngeet jisame sur-taal jaldee jaldee ek ke baad ek badalate hai aasaanee se man ko ekaagr kar lete hai. Ek bachchaa jeevnt sngeet se prem karataa hai, kyonki sur-taal kaa tejee se badalanaa man ko bhaṭakane ke lie koii maukaa naheen detaa hai. Ek aadamee jo aam sngeet pasnd karataa hai, shaastreey sngeet naapasnd karataa hai, kyonki vah adhik jaṭil hotaa hai aur use samajhane ke lie badee maatraa men ekaagrataa kee aavashyakataa hotee hai. Aisee ekaagrataa ke saath badee samasyaa ye hai kee ham man ko niyntrit naheen karate; vo hame niyntrit karataa hai. Hamase baahar kee koii cheej, kyoki vah hai, man ko usame kheenchatee hai aur tab tak usame pakaḍae rakhatee hai jabatak vo chaahatee hai. Ham madhur svar sunate hai yaa ek sundar chitrakaaree dekhate hain, aur man badee tejee se us pe aṭak jaataa hai! Ham use haṭaa naheen sakate hai. 
(nextPage)

हिंदी में :

हमें कैसे पता चलेगा की मन एकाग्र हो गया है? क्योंकि समय का विचार गायब हो जाएगा. जितना अधिक समय बिना पता चले गुजर जायेगा उतना अधिक हम एकाग्र होंगे. आम जीवन में हम देखते हैं कि हम समय का कोई ध्यान नहीं रखते है जब हमारी एक किताब में रुचि होती हैं; और जब हम उस पुस्तक को छोड़ते है, अक्सर हमे आश्चर्य होता है की कितने घंटे बीत चुके है. सभी समय की एक वर्तमान में रुकने की प्रवृति होती है. तो परिभाषा दी गई है: जब अतीत और वर्तमान आते हैं और एक हो जाते है, उस मन को एकाग्र कहा जाता है. कैसे दुनिया में सभी ज्ञान को प्राप्त किया गया है, अगर मन की शक्तियों की एकाग्रता से नहीं? प्रकृति अपने रहस्यों को खोलने के लिए तैयार है अगर हमे सिर्फ ये पता हो की दस्तक कैसे देते है, उसे आवश्यक झटका कैसे देते है. झटके की शक्ति और बल एकाग्रता के माध्यम से आते है. मानव मन के शक्तियों की कोई सीमा नहीं है. जितना अधिक वो एकाग्र होगा, उतना अधिक एक बिंदु पर शक्तियों को केंद्रित किया जायेगा; यही रहस्य है.

IN ENGLISH :

How are we to know that the mind has become concentrated? Because the idea of time will vanish. The more time passes unnoticed the more concentrated we are. In common life we see that when we are interested in a book we do not note the time at all; and when we leave the book, we are often surprised to find how many hours have passed. All time will have the tendency to come and stand in the one present. So the definition is given: When the past and present come and stand in one, the mind is said to be concentrated. How has all the knowledge in the world been gained but by the concentration of the powers of the mind? The world is ready to give up its secrets if we only know how to knock, how to give it the necessary blow. The strength and force of the blow come through concentration. There is no limit to the power of the human mind. The more concentrated it is, the more power is brought to bear on one point; that is the secret.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

Hamen kaise pataa chalegaa kee man ekaagr ho gayaa hai? Kyonki samay kaa vichaar gaayab ho jaa_egaa. Jitanaa adhik samay binaa pataa chale gujar jaayegaa utanaa adhik ham ekaagr honge. Aam jeevan men ham dekhate hain ki ham samay kaa koii dhyaan naheen rakhate hai jab hamaaree ek kitaab men ruchi hotee hain; aur jab ham us pustak ko chhodate hai, aksar hame aashchary hotaa hai kee kitane ghnṭe beet chuke hai. Sabhee samay kee ek vartamaan men rukane kee pravriti hotee hai. To paribhaaṣaa dee ga_ii haiah jab ateet aur vartamaan aate hain aur ek ho jaate hai, us man ko ekaagr kahaa jaataa hai. Kaise duniyaa men sabhee gyaan ko praapt kiyaa gayaa hai, agar man kee shaktiyon kee ekaagrataa se naheen? Prakriti apane rahasyon ko kholane ke lie taiyaar hai agar hame sirf ye pataa ho kee dastak kaise dete hai, use aavashyak jhaṭakaa kaise dete hai. Jhaṭake kee shakti aur bal ekaagrataa ke maadhyam se aate hai. Maanav man ke shaktiyon kee koii seemaa naheen hai. Jitanaa adhik vo ekaagr hogaa, utanaa adhik ek bindu par shaktiyon ko kendrit kiyaa jaayegaa; yahee rahasy hai.
(nextPage)

हिंदी में :

बाहरी चीजों पर ध्यान केंद्रित करना आसान है, मन स्वाभाविक रूप से बाहर चला जाता है; लेकिन ऐसा नहीं होता, धर्म, या मनोविज्ञान, या तत्वमीमांसा के मामले में, जहां विषय और वस्तु एक ही है. वस्तु आंतरिक है, मन खुद ही वस्तु है, और उसकी मन का अध्ययन करने के लिए ही आवश्यकता है - मन ही मन का अध्यन कर रहा है. हम जानते हैं कि मन की एक शक्ति है जिसे प्रतिबिम्बंन कहते है. मैं तुमसे बात कर रहा हूँ. और उसी समय मैं बगल में खड़ा हूँ, जैसे वो कोई दूसरा व्यक्ति हो, और मुझे जान और सुन रहा है, की मैं क्या बात कर रहा हूँ. आप एक ही समय में काम करते है और साथ-साथ सोचते है, जबकि आपके दिमाग का एक हिस्सा बगल में खड़ा ये देखता है की आप क्या सोच रहे है. मन की शक्तियों को एकाग्र किया जाना चाहिए और उसे उसके ही उपर लगाया जाना चाहिए, और जैसे अंधकारमय जगह, सूरज की भेदती किरणों के सामने अपने रहस्य खोल देती है, वैसे ही ये एकाग्र मन अपने अंतरतम रहस्यों को भेद देता है. इस प्रकार हम विश्वास और वास्तविक धर्म के आधार पर आ जायेंगे. हम खुद के लिए समझ जायेंगे कि क्या हम आत्मा है, जीवन पांच मिनट का है या अनंत काल का है, क्या ब्रम्हांड में एक भगवान् है या और भी. ये सभी रहस्य हमारे सामने खुल जायेंगे. यही है जो राज-योग सिखाने का प्रस्ताव रखता है. इसकी सभी शिक्षा का लक्ष्य मन को कैसे एकाग्र करे है, फिर, हमारे खुद के दिमाग के अंतरतम गुप्त स्थानों को कैसे खोजे, फिर, कैसे उस सामग्री का सामान्यीकरण करे और उससे हमारे अपने निष्कर्ष प्राप्त करे. वो, इसलिए, कभी ये प्रश्न नहीं पूछता की आपका धर्म क्या है, आप आस्तिक है की नास्तिक, ईसाई, यहूदी, या बौद्ध है. हम मनुष्य है; यही पर्याप्त है. सभी मनुष्यों के पास धर्म की खोज का अधिकार और सामर्थ्य है. सभी मनुष्य के पास कारण पूछने, की क्यों, और उसके प्रश्न का उत्तर खुद दिए जाने का अधिकार है, अगर वह केवल कष्ट करता है.

IN ENGLISH :

It is easy to concentrate the mind on external things, the mind naturally goes outwards; but not so in the case of religion, or psychology, or metaphysics, where the subject and the object, are one. The object is internal, the mind itself is the object, and it is necessary to study the mind itself — mind studying mind. We know that there is the power of the mind called reflection. I am talking to you. At the same time I am standing aside, as it were, a second person, and knowing and hearing what I am talking. You work and think at the same time, while a portion of your mind stands by and sees what you are thinking. The powers of the mind should be concentrated and turned back upon itself, and as the darkest places reveal their secrets before the penetrating rays of the sun, so will this concentrated mind penetrate its own innermost secrets. Thus will we come to the basis of belief, the real genuine religion. We will perceive for ourselves whether we have souls, whether life is of five minutes or of eternity, whether there is a God in the universe or more. It will all be revealed to us. This is what Raja-Yoga proposes to teach. The goal of all its teaching is how to concentrate the minds, then, how to discover the innermost recesses of our own minds, then, how to generalise their contents and form our own conclusions from them. It, therefore, never asks the question what our religion is, whether we are Deists or Atheists, whether Christians, Jews, or Buddhists. We are human beings; that is sufficient. Every human being has the right and the power to seek for religion. Every human being has the right to ask the reason, why, and to have his question answered by himself, if he only takes the trouble.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

Baaharee cheejon par dhyaan kendrit karanaa aasaan hai, man svaabhaavik roop se baahar chalaa jaataa hai; lekin aisaa naheen hotaa, dharm, yaa manovigyaan, yaa tatvameemaansaa ke maamale men, jahaan viṣay aur vastu ek hee hai. Vastu aantarik hai, man khud hee vastu hai, aur usakee man kaa adhyayan karane ke lie hee aavashyakataa hai - man hee man kaa adhyan kar rahaa hai. Ham jaanate hain ki man kee ek shakti hai jise pratibimbnn kahate hai. Main tumase baat kar rahaa hoon. Aur usee samay main bagal men khadaa hoon, jaise vo koii doosaraa vyakti ho, aur mujhe jaan aur sun rahaa hai, kee main kyaa baat kar rahaa hoon. Aap ek hee samay men kaam karate hai aur saath-saath sochate hai, jabaki aapake dimaag kaa ek hissaa bagal men khadaa ye dekhataa hai kee aap kyaa soch rahe hai. Man kee shaktiyon ko ekaagr kiyaa jaanaa chaahie aur use usake hee upar lagaayaa jaanaa chaahie, aur jaise andhakaaramay jagah, sooraj kee bhedatee kiraṇaon ke saamane apane rahasy khol detee hai, vaise hee ye ekaagr man apane antaratam rahasyon ko bhed detaa hai. Is prakaar ham vishvaas aur vaastavik dharm ke aadhaar par aa jaayenge. Ham khud ke lie samajh jaayenge ki kyaa ham aatmaa hai, jeevan paanch minaṭ kaa hai yaa annt kaal kaa hai, kyaa bramhaanḍa men ek bhagavaan hai yaa aur bhee. Ye sabhee rahasy hamaare saamane khul jaayenge. Yahee hai jo raaj-yog sikhaane kaa prastaav rakhataa hai. Isakee sabhee shikṣaa kaa lakṣy man ko kaise ekaagr kare hai, fir, hamaare khud ke dimaag ke antaratam gupt sthaanon ko kaise khoje, fir, kaise us saamagree kaa saamaanyeekaraṇa kare aur usase hamaare apane niṣkarṣ praapt kare. Vo, isalie, kabhee ye prashn naheen poochhataa kee aapakaa dharm kyaa hai, aap aastik hai kee naastik, iisaa_ii, yahoodee, yaa bauddh hai. Ham manuṣy hai; yahee paryaapt hai. Sabhee manuṣyon ke paas dharm kee khoj kaa adhikaar aur saamarthy hai. Sabhee manuṣy ke paas kaaraṇa poochhane, kee kyon, aur usake prashn kaa uttar khud die jaane kaa adhikaar hai, agar vah keval kaṣṭ karataa hai.
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हिंदी में :

अब सवाल यह है कि: क्या इस एकाग्रता को विकसित किया जा सकता है, और क्या हम इसके स्वामी बन सकते है? योगी कहते हैं, हाँ. योगियों का कहना है कि हम मन पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर सकते हैं. नैतिक पक्ष पर एकाग्रता की शक्ति को विकसित करने का एक खतरा है - किसी भी वस्तु पर मन को एकाग्र करने और फिर अपनी इच्छा से उसे वहा से हटाने में असमर्थ होने का खतरा. ये अवस्था महान दुःख का कारण बनती है. लगभग हमारे सभी दुःख हमारे पास निर्लिप्तता की शक्ति के न होने से होते है. तो एकाग्रता की शक्ति के विकास के साथ-साथ हमे निर्लिप्तता की शक्ति का भी विकास करना होगा. हमे सिर्फ मन को किसी एक चीज के साथ विशेष रूप से संलग्न करना ही नहीं सीखना होगा, परन्तु हमें एक पल की सूचना पे उसे निर्लिप्त करना और उसे किसी दूसरी चीज पे एकाग्र करना भी सीखना होगा. इन दोनों को एक साथ-साथ ही विकसित किया जाना चाहिए, इसे सुरक्षित बनाने के लिए.

IN ENGLISH :

Now the question is: Can this concentration be developed, and can we become masters of it? The Yogis say, yes. The Yogis say that we can get perfect control of the mind. On the ethical side there is danger in the development of the power of concentration—the danger of concentrating the mind upon an object and then being unable to detach it at will. This state causes great suffering. Almost all our suffering is caused by our not having the power of detachment. So along with the development of concentration we must develop the power of detachment. We must learn not only to attach the mind to one thing exclusively, but also to detach it at a moment's notice and place it upon something else. These two should be developed together to make it safe.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

Ab savaal yah hai kiah kyaa is ekaagrataa ko vikasit kiyaa jaa sakataa hai, aur kyaa ham isake svaamee ban sakate hai? Yogee kahate hain, haan. Yogiyon kaa kahanaa hai ki ham man par poorṇa niyntraṇa praapt kar sakate hain. Naitik pakṣ par ekaagrataa kee shakti ko vikasit karane kaa ek khataraa hai - kisee bhee vastu par man ko ekaagr karane aur fir apanee ichchhaa se use vahaa se haṭaane men asamarth hone kaa khataraa. Ye avasthaa mahaan duahkh kaa kaaraṇa banatee hai. Lagabhag hamaare sabhee duahkh hamaare paas nirliptataa kee shakti ke n hone se hote hai. To ekaagrataa kee shakti ke vikaas ke saath-saath hame nirliptataa kee shakti kaa bhee vikaas karanaa hogaa. Hame sirf man ko kisee ek cheej ke saath visheṣ roop se snlagn karanaa hee naheen seekhanaa hogaa, parantu hamen ek pal kee soochanaa pe use nirlipt karanaa aur use kisee doosaree cheej pe ekaagr karanaa bhee seekhanaa hogaa. In donon ko ek saath-saath hee vikasit kiyaa jaanaa chaahie, ise surakṣit banaane ke lie.
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हिंदी में :

नियमों का नियम एकाग्रता है. सबसे पहले, सभी तंत्रिकाओं की ऊर्जा को एकाग्र करो और सभी शक्तियां जो शारीरक कोशिकाओं में भरी है को एक बल करके, इच्छा अनुसार निर्देशित करो. फिर मन को, जो बारीक़ तत्व है, एक केंद्र में ले आओ. मन की परतों पे परतें है. जब तंत्रिका बल एकाग्र करके मेरुदण्डीय स्तम्भ से ले जाया जाता है, मन की एक परत खुल जाती है. जब वह एक हड्डी [तंतुजाल, या "कमल"] पर एकाग्र होता है, दुनिया का दूसरा हिस्सा खुल जाता है. तो वो एक दुनिया से दूसरी दुनिया में जाता है जब तक वह पनियल ग्रंथि को दिमाग के मध्य में छू नहीं लेता है. यह स्थितिज ऊर्जा संरक्षण की स्तिथि है, गतिविधि और निष्क्रियता दोनों का सोत्र. 

IN ENGLISH :

The law of laws is concentration. First, concentrate all the nerve energies and all power lodged in the cells of the body into one force and direct it at will. Then bring the mind, which is thinner matter, into one centre. The mind has layer after layer. When the nerve force concentrated is made to pass through the spinal column, one layer of the mind is open. When it is concentrated in one bone [plexus, or "lotus"], another part of the world is open. So from world to world it goes until it touches the pineal gland in the centre of the brain. This is the seat of conservation of potential energy, the source of both activity and passivity.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

Niyamon kaa niyam ekaagrataa hai. Sabase pahale, sabhee tntrikaa_on kee oorjaa ko ekaagr karo aur sabhee shaktiyaan jo shaareerak koshikaa_on men bharee hai ko ek bal karake, ichchhaa anusaar nirdeshit karo. Fir man ko, jo baareeq tatv hai, ek kendr men le aao. Man kee paraton pe paraten hai. Jab tntrikaa bal ekaagr karake merudaṇaḍaeey stambh se le jaayaa jaataa hai, man kee ek parat khul jaatee hai. Jab vah ek haḍaḍaee [tntujaal, yaa "kamal"] par ekaagr hotaa hai, duniyaa kaa doosaraa hissaa khul jaataa hai. To vo ek duniyaa se doosaree duniyaa men jaataa hai jab tak vah paniyal grnthi ko dimaag ke madhy men chhoo naheen letaa hai. Yah sthitij oorjaa snrakṣaṇa kee stithi hai, gatividhi aur niṣkriyataa donon kaa sotr.
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हिंदी में :

मनुष्यों और पशुओं के बीच मुख्य अंतर, उनमे इस एकाग्रता की शक्ति का अंतर है. किसी कार्यक्षेत्र में सभी सफलता इसका ही परिणाम है. हर कोई एकाग्रता के बारे कुछ न कुछ जानता है. हमें इसके परिणाम हर दिन दिखते है. कला, संगीत, इत्यादि में उच्च उपलब्धियां, एकाग्रता के ही परिणाम हैं. एक जानवर में एकाग्रता की बहुत कम ही शक्ति होती है. जिन्होंने जानवरों को प्रशिक्षित किया है इस तथ्य से बहुत कठिनाईयां अनुभव करते है की जानवर लगातार उसे भूल रहा होता है जो उसे बताया जाता है. वो अपने मन को लम्बे समय तक किसी एक चीज पर एकाग्र नहीं कर सकता है. यहीं मनुष्य और जानवर में अंतर है - मनुष्य के पास बड़ी एकाग्रता की शक्ति है. एकाग्रता की शक्ति पर अधिकार का अंतर ही मनुष्य और मनुष्य के बीच का अंतर स्थापित करता है. निम्नतम की उच्चतम मनुष्य से तुलना करे. अंतर, एकाग्रता की श्रेणी में अंतर है. यही एकमात्र अंतर है. 

IN ENGLISH :

The main difference between men and the animals is the difference in their power of concentration. All success in any line of work is the result of this. Everybody knows something about concentration. We see its results every day. High achievements in art, music, etc., are the results of concentration. An animal has very little power of concentration. Those who have trained animals find much difficulty in the fact that the animal is constantly forgetting what is told him. He cannot concentrate his mind long upon anything at a time. Herein is the difference between man and the animals—man has the greater power of concentration. The difference in heir power of concentration also constitutes the difference between man and man. Compare the lowest with the highest man. The difference is in the degree of concentration. This is the only difference.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

Manuṣyon aur pashuon ke beech mukhy antar, uname is ekaagrataa kee shakti kaa antar hai. Kisee kaaryakṣetr men sabhee safalataa isakaa hee pariṇaam hai. Har koii ekaagrataa ke baare kuchh n kuchh jaanataa hai. Hamen isake pariṇaam har din dikhate hai. Kalaa, sngeet, ityaadi men uchch upalabdhiyaan, ekaagrataa ke hee pariṇaam hain. Ek jaanavar men ekaagrataa kee bahut kam hee shakti hotee hai. Jinhonne jaanavaron ko prashikṣit kiyaa hai is tathy se bahut kaṭhinaa_iiyaan anubhav karate hai kee jaanavar lagaataar use bhool rahaa hotaa hai jo use bataayaa jaataa hai. Vo apane man ko lambe samay tak kisee ek cheej par ekaagr naheen kar sakataa hai. Yaheen manuṣy aur jaanavar men antar hai - manuṣy ke paas badee ekaagrataa kee shakti hai. Ekaagrataa kee shakti par adhikaar kaa antar hee manuṣy aur manuṣy ke beech kaa antar sthaapit karataa hai. Nimnatam kee uchchatam manuṣy se tulanaa kare. Antar, ekaagrataa kee shreṇaee men antar hai. Yahee ekamaatr antar hai.


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