रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH “DINKAR” – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

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रामधारी सिंह दिनकर का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य परशुराम की प्रतीक्षा. Inspirational Hindi Poem By Ramdhari Singh Dinkar Parshuram Ki Prateeksha

रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH “DINKAR” – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

परशुराम की प्रतीक्षा – रामधारी सिंह “दिनकर” हिंदी खंड काव्य (खंड 5) | PARSHURAM KI PRATEEKSHA – RAMDHARI SINGH “DINKAR” HINDI SECTION POETRY (SECTION 5)

संछिप्त परिचय – रामधारी सिंह ‘दिनकर’

रामधारी सिंह ‘दिनकर’ (२३ सितंबर १९०८- २४ अप्रैल १९७४) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे. वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं. बिहार प्रान्त के बेगुसराय जिले का सिमरिया घाट उनकी जन्मस्थली है. उन्होंने इतिहास, दर्शनशास्त्र और राजनीति विज्ञान की पढ़ाई पटना विश्वविद्यालय से की. उन्होंने संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी और उर्दू का गहन अध्ययन किया था. ‘दिनकर’ स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद राष्ट्रकवि के नाम से जाने गये. वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे. एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है. इन्हीं दो प्रवृत्तियों का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है. उर्वशी को भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार जबकि कुरुक्षेत्र को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ काव्यों में ७४वाँ स्थान दिया गया.

परशुराम की प्रतीक्षा

परशुराम की प्रतीक्षा राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा रचित खंडकाव्य है. इसकी रचना 1962-63 में हुई, जब चीनी आक्रमण के फलस्वरूप भारत को पराजय का सामना करना पड़ा, उससे राष्ट्रकवि दिनकर अत्यंत व्यथित हुये और इस खंडकाव्य की रचना की. उन्होंने उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु का विरोध भी किया और राज्यसभा के सदस्यों के सामने इस को पढ़ कर लोगो को अपने आतंरिक द्वन्द को भूल, एक साथ आने का आह्वान किया.

BOLTECHITRA 1 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA



हिंदी में :

सिखलायेगा वह, ऋत एक ही अनल है
जिन्दगी नहीं वह जहाँ नहीं हलचल है.
जिनमें दाहकता नहीं, न तो गर्जन है,
सुख की तरंग का जहाँ अन्ध वर्जन है,
जो सत्य राख में सने, रुक्ष, रूठे हैं,
छोड़ो उनको, वे सही नहीं, झूठे हैं.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

sikhalaayegaa vah, rrit ek hee anal hai
jindagee naheen vah jahaan naheen halachal hai.
Jinamen daahakataa naheen, n to garjan hai,
sukh kee tarng kaa jahaan andh varjan hai,
jo saty raakh men sane, rukṣ, rooṭhe hain,
chhodo unako, ve sahee naheen, jhooṭhe hain.
(nextPage)

BOLTECHITRA 2 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

वैराग्य छोड़ बाँहों की विभा संभालो
चट्टानों की छाती से दूध निकालो
है रुकी जहाँ भी धार शिलाएं तोड़ो
पीयूष चन्द्रमाओं का पकड़ निचोड़ो
चढ़ तुंग शैल शिखरों पर सोम पियो रे
योगियों नहीं विजयी के सदृश जियो रे!

IN HINGLISH OR PHONETIC :

vairaagy chhod baanhon kee vibhaa snbhaalo
chaṭṭaanon kee chhaatee se doodh nikaalo
hai rukee jahaan bhee dhaar shilaa_en todo
peeyooṣ chandramaa_on kaa pakad nichodo
chaḍhx tung shail shikharon par som piyo re
yogiyon naheen vijayee ke sadrish jiyo re!
(nextPage)

BOLTECHITRA 3 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

मत टिको मदिर, मधुमयी, शान्त छाया में,
भूलो मत उज्जवल, ध्येय मोह-माया में.
लौलुप्य-लालसा जहाँ, वहीं पर क्षय है;
आनंद नहीं, जीवन का लक्ष्य विजय है.
जृम्भक, रहस्य-धूमिल मत ऋचा रचो रे!
सर्पित प्रसून के मद से बचो-बचो रे!

IN HINGLISH OR PHONETIC :

mat ṭiko madir, madhumayee, shaant chhaayaa men,
bhoolo mat ujjaval, dhyey moh-maayaa men.
Laulupy-laalasaa jahaan, vaheen par kṣay hai;
aannd naheen, jeevan kaa lakṣy vijay hai.
Jrimbhak, rahasy-dhoomil mat rrichaa racho re!
Sarpit prasoon ke mad se bacho-bacho re!
(nextPage)

BOLTECHITRA 4 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA


हिंदी में :

जब कुपित काल धीरता त्याग जलता है
चिनगी बन फूलों का पराग जलता है
सौन्दर्य बोध बन नयी आग जलता है
ऊँचा उठकर कामार्त्त राग जलता है
अम्बर पर अपनी विभा प्रबुद्ध करो रे
गरजे कृशानु तब कंचन शुद्ध करो रे!
रामधारी सिंह दिनकर


IN HINGLISH OR PHONETIC :

jab kupit kaal dheerataa tyaag jalataa hai
chinagee ban foolon kaa paraag jalataa hai
saundary bodh ban nayee aag jalataa hai
oonchaa uṭhakar kaamaartt raag jalataa hai
ambar par apanee vibhaa prabuddh karo re
garaje krishaanu tab knchan shuddh karo re!
Ramdhari Singh Dinkar
(nextPage)

BOLTECHITRA 5 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

भामा ह्रादिनी-तरंग, तडिन्माला है,
वह नहीं काम की लता, वीर बाला है,
आधी हालाहल-धार, अर्ध हाला है.
जब भी उठती हुंकार युद्ध-ज्वाला है,
चण्डिका कान्त को मुण्ड-माल देती है;
रथ के चक्के में भुजा डाल देती है.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

bhaamaa hraadinee-tarng, taḍainmaalaa hai,
vah naheen kaam kee lataa, veer baalaa hai,
aadhee haalaahal-dhaar, ardh haalaa hai.
Jab bhee uṭhatee hunkaar yuddh-jvaalaa hai,
chaṇaḍaikaa kaant ko muṇaḍa-maal detee hai;
rath ke chakke men bhujaa ḍaal detee hai.
(nextPage)

BOLTECHITRA 6 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

खोजता पुरुष सौन्दर्य, त्रिया प्रतिभा को,
नारी चरित्र-बल को, नर मात्र त्वचा को.
श्री नहीं पाणि जिसके सिर पर धरती है,
भामिनी हृदय से उसे नहीं वरती है.
पाओ रमणी का हृदय विजय अपनाकर,
या बसो वहाँ बन कसक वीर-गति पा कर.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

khojataa puruṣ saundary, triyaa pratibhaa ko,
naaree charitr-bal ko, nar maatr tvachaa ko.
Shree naheen paaṇai jisake sir par dharatee hai,
bhaaminee hriday se use naheen varatee hai.
Paa_o ramaṇaee kaa hriday vijay apanaakar,
yaa baso vahaan ban kasak veer-gati paa kar.
(nextPage)

BOLTECHITRA 7 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

जिसकी बाँहें बलमयी ललाट अरुण है
भामिनी वही तरुणी नर वही तरुण है
है वही प्रेम जिसकी तरंग उच्छल है
वारुणी धार में मिश्रित जहाँ गरल है
उद्दाम प्रीति बलिदान बीज बोती है
तलवार प्रेम से और तेज होती है!

IN HINGLISH OR PHONETIC :

jisakee baanhen balamayee lalaaṭ aruṇa hai
bhaaminee vahee taruṇaee nar vahee taruṇa hai
hai vahee prem jisakee tarng uchchhal hai
vaaruṇaee dhaar men mishrit jahaan garal hai
uddaam preeti balidaan beej botee hai
talavaar prem se aur tej hotee hai!
(nextPage)

BOLTECHITRA 8 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

पी जिसे उमड़ता अनल, भुजा भरती है,
वह शक्ति सूर्य की किरणों में झरती है.
मरु के प्रदाह में छिपा हुआ जो रस है,
तूफान-अन्धड़ों में जो अमृत-कलस है,
उस तपन-तत्व से ह्रदय-प्राण सींचो रे!
खींचो, भीतर आंधियाँ और खींचो रे!

IN HINGLISH OR PHONETIC :

pee jise umadtaa anal, bhujaa bharatee hai,
vah shakti soory kee kiraṇaon men jharatee hai.
Maru ke pradaah men chhipaa huaa jo ras hai,
toofaan-andhadon men jo amrit-kalas hai,
us tapan-tatv se hraday-praaṇa seencho re!
Kheencho, bheetar aandhiyaan aur kheencho re!
(nextPage)

BOLTECHITRA 9 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

छोड़ो मत अपनी आन, सीस कट जाये
मत झुको अनय पर भले व्योम फट जाये
दो बार नहीं यमराज कण्ठ धरता है
मरता है जो एक ही बार मरता है
तुम स्वयं मृत्यु के मुख पर चरण धरो रे
जीना हो तो मरने से नहीं डरो रे!

IN HINGLISH OR PHONETIC :

chhodo mat apanee aan, sees kaṭ jaaye
mat jhuko anay par bhale vyom faṭ jaaye
do baar naheen yamaraaj kaṇaṭh dharataa hai
marataa hai jo ek hee baar marataa hai
tum svayn mrityu ke mukh par charaṇa dharo re
jeenaa ho to marane se naheen ḍaaro re!
(nextPage)

BOLTECHITRA 10 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

स्वातंत्र्य जाति की लगन व्यक्ति की धुन है
बाहरी वस्तु यह नहीं भीतरी गुण है
नत हुए बिना जो अशनि-घात सहती है,
स्वाधीन जगत् में वहीं जाति रहती है.
वीरत्व छोड़ पर का मत चरण गहो रे
जो पड़े आन खुद ही सब आग सहो रे!

IN HINGLISH OR PHONETIC :

svaatntry jaati kee lagan vyakti kee dhun hai
baaharee vastu yah naheen bheetaree guṇa hai
nat hue binaa jo ashani-ghaat sahatee hai,
svaadheen jagat men vaheen jaati rahatee hai.
Veeratv chhod par kaa mat charaṇa gaho re
jo pade aan khud hee sab aag saho re!
(nextPage)

BOLTECHITRA 11 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

दासत्व जहाँ है, वहीं स्तब्ध जीवन है,
स्वातंत्र्य निरन्तर समर, सनातन रण है.
स्वातंत्र्य समस्या नहीं आज या कल की,
जागर्ति तीव्र वह घड़ी-घड़ी, पल-पल की.
पहरे पर चारों ओर सतर्क लगो रे!
धर धनुष-बाण उद्यत दिन-रात जगो रे!

IN HINGLISH OR PHONETIC :

daasatv jahaan hai, vaheen stabdh jeevan hai,
svaatntry nirantar samar, sanaatan raṇa hai.
Svaatntry samasyaa naheen aaj yaa kal kee,
jaagarti teevr vah ghadee-ghadee,
pal-pal kee. Pahare par chaaron or satark lago re!
Dhar dhanuṣ-baaṇa udyat din-raat jago re!
(nextPage)

BOLTECHITRA 12 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

आंधियाँ नहीं, जिसमें उमंग भरती हैं,
छातियाँ जहाँ संगीनों से डरती हैं.
शोणित के बदले जहाँ अश्रु बहता है,
वह देश कभी स्वाधीन नहीं रहता है.
पकड़ो अयाल, अन्धड पर उछल चढ़ो रे.
किरिचों पर अपने तन का चाम मढ़ो रे.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

aandhiyaan naheen, jisamen umng bharatee hain,
chhaatiyaan jahaan sngeenon se ḍaaratee hain.
Shoṇait ke badale jahaan ashru bahataa hai,
vah desh kabhee svaadheen naheen rahataa hai.
Pakado ayaal, andhaḍa par uchhal chaḍho re.
Kirichon par apane tan kaa chaam maḍho re.
(nextPage)

BOLTECHITRA 13 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

जब कभी अहम पर नियति चोट देती है
कुछ चीज़ अहम से बड़ी जन्म लेती है
नर पर जब भी भीषण विपत्ति आती है
वह उसे और दुर्धुर्ष बना जाती है
चोटें खाकर बिफरो, कुछ अधिक तनो रे
धधको स्फुलिंग में बढ़ अंगार बनो रे!

IN HINGLISH OR PHONETIC :

jab kabhee aham par niyati choṭ detee hai
kuchh cheeza aham se badee janm letee hai
nar par jab bhee bheeṣaṇa vipatti aatee hai
vah use aur durdhurṣ banaa jaatee hai
choṭen khaakar bifaro, kuchh adhik tano re
dhadhako sfuling men baḍhx angaar bano re!
(nextPage)

BOLTECHITRA 14 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

धन धाम, ज्ञान-विज्ञान मात्र सम्बल है
बस एक मात्र बलिदान जाति का बल है.
सिर देने से जो लोग नहीं डरते हैं,
वे ही प्रभजनो पर शासन करते हैं.
जब पड़े विपद, अपनी उमंग जांचो रे.
विकराल काल के फण पर चढ़ नाचो रे.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

dhan dhaam, gyaan-vigyaan maatr sambal hai
bas ek maatr balidaan jaati kaa bal hai.
Sir dene se jo log naheen ḍaarate hain,
ve hee prabhajano par shaasan karate hain.
Jab pade vipad, apanee umng jaancho re.
Vikaraal kaal ke faṇa par chaḍhx naacho re.
(nextPage)

BOLTECHITRA 15 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

हैं खड़े हिंस्र वृक-व्याघ्र, खड़ा पशुबल है,
ऊँची मनुष्यता का पथ नहीं सरल है.
ये हिंस्र साधु पर भी न तरस खाते हैं,
कंठी-माला के सहित चबा जाते हैं.
जो वीर काट कर इन्हें पार जायेगा,
उत्तुंग श्रृंग पर वही पहुँच पायेगा.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

hain khade hinsr vrik-vyaaghr, khadaa pashubal hai,
oonchee manuṣyataa kaa path naheen saral hai.
Ye hinsr saadhu par bhee n taras khaate hain,
knṭhee-maalaa ke sahit chabaa jaate hain.
Jo veer kaaṭ kar inhen paar jaayegaa,
uttung shrring par vahee pahunch paayegaa.
(nextPage)

BOLTECHITRA 16 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

जो पुरुष भूल शायक, कुठार को असि को,
पूजता मात्र चिन्तन, विचार को, मसि को,
सत्य का नहीं बहुमान किया करता है,
केवल सपनों का ध्यान किया करता है,
बस में उसके यह लोक न रह जायेगा.
है हवा स्वप्न, कर में वह क्यों आयेगा?

IN HINGLISH OR PHONETIC :

jo puruṣ bhool shaayak, kuṭhaar ko asi ko,
poojataa maatr chintan, vichaar ko, masi ko,
saty kaa naheen bahumaan kiyaa karataa hai,
keval sapanon kaa dhyaan kiyaa karataa hai,
bas men usake yah lok n rah jaayegaa.
Hai havaa svapn, kar men vah kyon aayegaa?
(nextPage)

BOLTECHITRA 17 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

उपशम को ही जो जाति धर्म कहती है,
शम, दम, विराग को श्रेष्ठ कर्म कहती है,
धृति को प्रहार, शान्ति को वर्म कहती है,
अक्रोध, विनय को विजय-मर्म कहती है,
अपमान कौन, वह जिसको नहीं सहेगी?
सबको असीस सब का बन दास रहेगी.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

upasham ko hee jo jaati dharm kahatee hai,
sham, dam, viraag ko shreṣṭh karm kahatee hai,
dhriti ko prahaar, shaanti ko varm kahatee hai,
akrodh, vinay ko vijay-marm kahatee hai,
apamaan kaun, vah jisako naheen sahegee?
Sabako asees sab kaa ban daas rahegee.
(nextPage)

BOLTECHITRA 18 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

यह कठिन शाप सुकुमार धर्म-साधन का,
रण-विमुख, शान्त जीवन के आराधन का,
जातियाँ पावकों से बच कर चलती हैं,
निर्वीर्य कल्पनाएँ रच कर चलती हैं.
वृन्तो पर जलते सूर्य छोड़ देती हैं,
चुन-चुन कर केवल चाँद तोड़ लेती हैं.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

yah kaṭhin shaap sukumaar dharm-saadhan kaa,
raṇa-vimukh, shaant jeevan ke aaraadhan kaa,
jaatiyaan paavakon se bach kar chalatee hain,
nirveery kalpanaa_en rach kar chalatee hain.
Vrinto par jalate soory chhod detee hain,
chun-chun kar keval chaand tod letee hain.
(nextPage)

BOLTECHITRA 19 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

दो उन्हें राम, तो मात्र नाम वे लेंगी,
विक्रमी शरासन से न काम वे लेंगी,
नवनीत बना देतीं भट अवतारी को,
मोहन मुरलीधर पाचजन्य-धारी को.
पावक को बुझा तुषार बना देती हैं,
गांधी को शीतल क्षार बना देती हैं.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

do unhen raam, to maatr naam ve lengee,
vikramee sharaasan se n kaam ve lengee,
navaneet banaa deteen bhaṭ avataaree ko,
mohan muraleedhar paachajany-dhaaree ko.
Paavak ko bujhaa tuṣaar banaa detee hain,
gaandhee ko sheetal kṣaar banaa detee hain.
(nextPage)

BOLTECHITRA 20 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

है सही बना पहले पृथ्वी से जल था,
पर, बहुत पूर्व उससे बन चुका अनल था.
जब प्रथम-प्रथम हो उठा तत्तव चंचल था,
प्रेरणा-स्रोत पर विनय नहीं थी, बल था.
है अनल ब्रह्म, पावक-तरंग जीवन है,
अब समझा, क्यों उजाला अभंग जीवन है?

IN HINGLISH OR PHONETIC :

hai sahee banaa pahale prithvee se jal thaa,
par, bahut poorv usase ban chukaa anal thaa.
Jab pratham-pratham ho uṭhaa tattav chnchal thaa,
preraṇaa-srot par vinay naheen thee, bal thaa.
Hai anal brahm, paavak-tarng jeevan hai,
ab samajhaa, kyon ujaalaa abhng jeevan hai?
(nextPage)

BOLTECHITRA 21 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

भव को न अग्नि करने को क्षार बनी थी,
रखने को, बस उज्जवल आचार बनी थी.
शिव नहीं, शक्ति सृजन-आधार बनी थी,
जब बनी सृष्टि, पहले तलवार बनी थी.
वह कालकण्ठ स्रज नहीं, न कुंकुम-रज है.
सत्य ही कहा गुरु ने, अकाल असि-ध्वज है.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

bhav ko n agni karane ko kṣaar banee thee,
rakhane ko, bas ujjaval aachaar banee thee.
Shiv naheen, shakti srijan-aadhaar banee thee,
jab banee sriṣṭi, pahale talavaar banee thee.
Vah kaalakaṇaṭh sraj naheen, n kunkum-raj hai.
Saty hee kahaa guru ne, akaal asi-dhvaj hai.
(nextPage)

BOLTECHITRA 22 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA


हिंदी में :

स्वर में पावक यदि नहीं वृथा वन्दन है,
वीरता नहीं, तो सभी विनय क्रन्दन है.
सिर पर जिसके असिघात, रक्त-चन्दन है,
भ्रामरी उसी का करती अभिनन्दन है.
दानवी रक्त से सभी पाप धुलते हैं,
ऊँची मनुष्यता के पथ भी खुलते हैं.
रामधारी सिंह दिनकर

IN HINGLISH OR PHONETIC :

svar men paavak yadi naheen vrithaa vandan hai,
veerataa naheen, to sabhee vinay krandan hai.
Sir par jisake asighaat, rakt-chandan hai,
bhraamaree usee kaa karatee abhinandan hai.
Daanavee rakt se sabhee paap dhulate hain,
oonchee manuṣyataa ke path bhee khulate hain.
Ramdhari Singh Dinkar
(nextPage)

BOLTECHITRA 23 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

सत्य है, धर्म का परम रूप लव-कुश हैं,
अत्यय-अधम पर परशु मात्र अंकुश हैं,
पर, जब कुठार की धार क्षीण होती है,
स्वयमेव धर्म की श्री मलीन होती है.
हो धर्म ध्येय, तो भजो प्रथम बाँहों को.
तोलो अपना बल-वीर्य, नहीं आहों को.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

saty hai, dharm kaa param roop lav-kush hain,
atyay-adham par parashu maatr ankush hain,
par, jab kuṭhaar kee dhaar kṣeeṇa hotee hai,
svayamev dharm kee shree maleen hotee hai.
Ho dharm dhyey, to bhajo pratham baanhon ko.
Tolo apanaa bal-veery, naheen aahon ko.
(nextPage)

BOLTECHITRA 24 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

है दुखी मेष, क्यों लहू शेर चखते हैं,
नाहक इतने क्यों दाँत तेज रखते हैं.
पर, शेर द्रवित हो दशन तोड़ क्यों लेंगे?
मेषों के हित व्याघ्रता छोड़ क्यों देंगे?
एक ही पन्थ, तुम भी आघात हनो रे.
मेषत्व छोड मेषो! तुम व्याघ्र बनो रे.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

hai dukhee meṣ, kyon lahoo sher chakhate hain,
naahak itane kyon daant tej rakhate hain.
Par, sher dravit ho dashan tod kyon lenge?
Meṣon ke hit vyaaghrataa chhod kyon denge?
Ek hee panth, tum bhee aaghaat hano re.
Meṣatv chhoḍa meṣo! Tum vyaaghr bano re.
Ramdhari Singh Dinkar
(nextPage)

BOLTECHITRA 25 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

जो अड़े, शेर उस नर से डर जाता है
है विदित, व्याघ्र को व्याघ्र नहीं खाता है.
सच पूछो तो अब भी सच यही वचन है,
सभ्यता क्षीण, बलवान हिंस्र कानन है.
एक ही पन्थ अब भी जग में जीने का,
अभ्यास करो छागियो! रक्त पीने का.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

jo ade, sher us nar se ḍaar jaataa hai
hai vidit, vyaaghr ko vyaaghr naheen khaataa hai.
Sach poochho to ab bhee sach yahee vachan hai,
sabhyataa kṣeeṇa, balavaan hinsr kaanan hai.
Ek hee panth ab bhee jag men jeene kaa,
abhyaas karo chhaagiyo! Rakt peene kaa.
Ramdhari Singh Dinkar
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BOLTECHITRA 26 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

जब शान्तिवादियों ने कपोत छोड़े थे,
किसने आशा से नहीं हाथ जोड़े थे?
पर, हाय, धर्म यह भी धोखा है, छल है,
उजले कबूतरों में भी छिपा अनल है.
पंजों में इनके धार धरी होती है,
कइयों में तो बारूद भरी होती है.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

jab shaantivaadiyon ne kapot chhode the,
kisane aashaa se naheen haath jode the?
Par, haay, dharm yah bhee dhokhaa hai, chhal hai,
ujale kabootaron men bhee chhipaa anal hai.
Pnjon men inake dhaar dharee hotee hai,
ka_iyon men to baarood bharee hotee hai.
Ramdhari Singh Dinkar
(nextPage)

BOLTECHITRA 27 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

जो पुण्य-पुण्य बक रहे, उन्हें बकने दो,
जैसे सदियां थक चुकी, उन्हें थकने दो.
पर, देख चुके हम तो सब पुण्य कमा कर,
सौभाग्य, मान, गौरव, अभिमान गंवा कर.
वे पियें शीत, तुम आतप-घाम पियो रे.
वे जपें नाम, तुम बन कर राम जियो रे.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

jo puṇay-puṇay bak rahe, unhen bakane do,
jaise sadiyaan thak chukee, unhen thakane do.
Par, dekh chuke ham to sab puṇay kamaa kar,
saubhaagy, maan, gaurav, abhimaan gnvaa kar.
Ve piyen sheet, tum aatap-ghaam piyo re.
Ve japen naam, tum ban kar raam jiyo re.
Ramdhari Singh Dinkar
(nextPage)

BOLTECHITRA 28 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

है जिन्हें दाँत, उनसे अदन्त कहते हैं,
यानी शूरों को देख सन्त कहते हैं,
"तुम तुड़ा दाँत क्यों नहीं पुण्य पाते हो?
यानी तुम भी क्यों भेड़ न बन जाते हो?"
पर कौन शेर भेड़ों की बात सुनेगा
जिन्दगी छोड़ मरने की राह चुनेगा?

IN HINGLISH OR PHONETIC :

hai jinhen daant, unase adant kahate hain,
yaanee shooron ko dekh sant kahate hain,
"tum tudaa daant kyon naheen puṇay paate ho?
Yaanee tum bhee kyon bhed n ban jaate ho?"
par kaun sher bhedon kee baat sunegaa
jindagee chhod marane kee raah chunegaa?
Ramdhari Singh Dinkar
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BOLTECHITRA 29 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

सुर नहीं शान्ति आंसू बिखेर लायेंगे,
मग नहीं युध्द का शमन शर लायेंगे.
विनयी न विनय को लगा टेर लायेंगे
लायेंगे तो वह दिन दिलेर लायेंगे.
बोलती बन्द होगी पशु की जब भय से,
उतरेगी भू पर शान्ति छूट संशय से.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

sur naheen shaanti aansoo bikher laayenge,
mag naheen yudhd kaa shaman shar laayenge.
Vinayee n vinay ko lagaa ṭer laayenge
laayenge to vah din diler laayenge.
Bolatee band hogee pashu kee jab bhay se,
utaregee bhoo par shaanti chhooṭ snshay se.
Ramdhari Singh Dinkar
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BOLTECHITRA 30 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

वे देश शान्ति के सब से शत्रु प्रबल हैं,
जो बहुत बड़े होने पर भी दुर्बल हैं,
हैं जिनके उदर विशाल, बाँह छोटी हैं,
भोथरे दाँत, पर, जीभ बहुत मोटी हैं.
औरों के पाले जो अलज्ज पलते हैं,
अथवा शेरों पर लदे हुए चलते हैं.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

ve desh shaanti ke sab se shatru prabal hain,
jo bahut bade hone par bhee durbal hain,
hain jinake udar vishaal, baanh chhoṭee hain,
bhothare daant, par, jeebh bahut moṭee hain.
Auron ke paale jo alajj palate hain,
athavaa sheron par lade hue chalate hain.
Ramdhari Singh Dinkar
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BOLTECHITRA 31 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

सिंहों पर अपना अतुल भार मत डालो,
हाथियो! स्वयं अपना तुम बोझ सँभालो.
यदि लदे फिरे, यों ही, तो पछताओगे,
शव मात्र आप अपना तुम रह जाओगे.
यह नहीं मात्र अपकीर्ति, अनय की अति है.
जानें, कैसे सहती यह दृश्य प्रकृति है!

IN HINGLISH OR PHONETIC :

sinhon par apanaa atul bhaar mat ḍaalo,
haathiyo! Svayn apanaa tum bojh snbhaalo.
Yadi lade fire, yon hee, to pachhataa_oge,
shav maatr aap apanaa tum rah jaa_oge.
Yah naheen maatr apakeerti, anay kee ati hai.
Jaanen, kaise sahatee yah drishy prakriti hai!
(nextPage)

BOLTECHITRA 32 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

उद्देश्य जन्म का नहीं कीर्ति या धन है
सुख नहीं धर्म भी नहीं, न तो दर्शन है
विज्ञान ज्ञान बल नहीं, न तो चिंतन है
जीवन का अंतिम ध्येय स्वयं जीवन है
सबसे स्वतंत्र रस जो भी अनघ पियेगा
पूरा जीवन केवल वह वीर जियेगा!

IN HINGLISH OR PHONETIC :

uddeshy janm kaa naheen keerti yaa dhan hai
sukh naheen dharm bhee naheen, n to darshan hai
vigyaan gyaan bal naheen, n to chintan hai
jeevan kaa antim dhyey svayn jeevan hai
sabase svatntr ras jo bhee anagh piyegaa
pooraa jeevan keval vah veer jiyegaa!
(nextPage)

BOLTECHITRA 33 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

जीवन गति है वह नित अरुद्ध चलता है,
पहला प्रमाण पावक का वह जलता है.
सिखला निरोध-निर्ज्वलन धर्म छलता है,
जीवन तरंग गर्जन है चंचलता है.
धधको अभंग, पल-विपल अरुद्ध जलो रे,
धारा रोके यदि राह विरुद्ध चलो रे.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

jeevan gati hai vah nit aruddh chalataa hai,
pahalaa pramaaṇa paavak kaa vah jalataa hai.
Sikhalaa nirodh-nirjvalan dharm chhalataa hai,
jeevan tarng garjan hai chnchalataa hai.
Dhadhako abhng, pal-vipal aruddh jalo re,
dhaaraa roke yadi raah viruddh chalo re. 
(nextPage)

BOLTECHITRA 34 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

जीवन अपनी ज्वाला से आप ज्वलित है,
अपनी तरंग से आप समुद्वेलित है.
तुम वृथा ज्योति के लिए कहाँ जाओगे?
है जहाँ आग, आलोक वहीं पाओगे.
क्या हुआ, पत्र यदि मृदुल, सुरम्य कली है?
सब मृषा, तना तरु का यदि नहीं बली है.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

jeevan apanee jvaalaa se aap jvalit hai,
apanee tarng se aap samudvelit hai.
Tum vrithaa jyoti ke lie kahaan jaa_oge?
Hai jahaan aag, aalok vaheen paa_oge.
Kyaa huaa, patr yadi mridul, suramy kalee hai?
Sab mriṣaa, tanaa taru kaa yadi naheen balee hai.
(nextPage)

BOLTECHITRA 35 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

धन से मनुष्य का पाप उभर आता है,
निर्धन जीवन यदि हुआ, बिखर जाता है.
कहते हैं जिसको सुयश-कीर्ति, सो क्या है?
कानों की यदि गुदगुदी नहीं, तो क्या है?
यश-अयश-चिन्तना भूल स्थान पकड़ो रे!
यश नहीं, मात्र जीवन के लिये लड़ो रे!

IN HINGLISH OR PHONETIC :

dhan se manuṣy kaa paap ubhar aataa hai,
nirdhan jeevan yadi huaa, bikhar jaataa hai.
Kahate hain jisako suyash-keerti, so kyaa hai?
Kaanon kee yadi gudagudee naheen, to kyaa hai?
Yash-ayash-chintanaa bhool sthaan pakado re!
Yash naheen, maatr jeevan ke liye lado re! 
(nextPage)

BOLTECHITRA 36 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

कुछ समझ नहीं पड़ता, रहस्य यह क्या है!
जानें, भारत में बहती कौन हवा है!
गमले में हैं जो खड़े, सुरम्य-सुदल हैं,
मिट्टी पर के ही पेड़ दीन-दुर्बल हैं.
जब तक है यह वैषम्य, समाज सड़ेगा,
किस तरह एक हो कर यह देश लड़ेगा.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

kuchh samajh naheen padataa,
rahasy yah kyaa hai!
Jaanen, bhaarat men bahatee kaun havaa hai!
Gamale men hain jo khade, suramy-sudal hain,
miṭṭee par ke hee ped deen-durbal hain.
Jab tak hai yah vaiṣamy, samaaj sadegaa,
kis tarah ek ho kar yah desh ladegaa. 
(nextPage)

BOLTECHITRA 37 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

सब से पहले यह दुरित-मूल काटो रे!
समतल पीटो, खाइयाँ-खड्ड पाटो रे!
बहुपाद वटों की शिरा-सोर छाँटो रे!
जो मिले अमृत, सब को समान बाँटो रे!
वैषम्य घोर जब तक यह शेष रहेगा,
दुर्बल का ही दुर्बल यह देश रहेगा.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

sab se pahale yah durit-mool kaaṭo re!
Samatal peeṭo, khaa_iyaan-khaḍaḍa paaṭo re!
Bahupaad vaṭon kee shiraa-sor chhaanṭo re!
Jo mile amrit, sab ko samaan baanṭo re!
Vaiṣamy ghor jab tak yah sheṣ rahegaa,
durbal kaa hee durbal yah desh rahegaa.
(nextPage)

BOLTECHITRA 38 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

यह बड़े भाग्य की बात! सिन्धु चंचल है,
मथ रहा आज फिर उसे मन्दराचल है.
छोड़ता व्यग्र फूत्कार सर्प पल-पल है,
गर्जित तरंग, प्रज्वलित वाडवानल है.
लो कढ़ा जहर! संसार जला जाता है.
ठहरो, ठहरो, पीयूष अभी आता है.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

yah bade bhaagy kee baat! Sindhu chnchal hai,
math rahaa aaj fir use mandaraachal hai.
Chhodataa vyagr footkaar sarp pal-pal hai,
garjit tarng, prajvalit vaaḍaavaanal hai.
Lo kaḍhaa jahar! Snsaar jalaa jaataa hai.
ṭhaharo, ṭhaharo, peeyooṣ abhee aataa hai.
(nextPage)

BOLTECHITRA 39 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

पर, सावधान! जा कहो उन्हें समझा कर,
सुर पुनः भाग जाये मत सुधा चुरा कर.
जो कढ़ा अमृत, सम-अंश बाँट हम लेंगे,
इस बार जहर का भाग उन्हें भी देंगे.
वैषम्य शेष यदि रहा, क्षान्ति डोलेगी,
इस रण पर चढ़ कर महा क्रान्ति बोलेगी.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

par, saavadhaan! Jaa kaho unhen samajhaa kar,
sur punah bhaag jaaye mat sudhaa churaa kar.
Jo kaḍhaa amrit, sam-ansh baanṭ ham lenge,
is baar jahar kaa bhaag unhen bhee denge
Vaiṣamy sheṣ yadi rahaa, kṣaanti ḍaolegee,
is raṇa par chaḍh kar mahaa kraanti bolegee.
(nextPage)

BOLTECHITRA 40 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

झंझा-झकोर पर चढो, मस्त झूलो रे.
वृन्तों पर बन पावक-प्रसून फूलो रे.
दायें-बायें का द्वन्द्व आज भूलो रे.
सामने पड़े जो शत्रु, शूल हूलो रे.
वृक हो कि व्याल, जो भी विरुध्द आयेगा,
भारत से जीवित लौट नहीं पायेगा.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

jhnjhaa-jhakor par chaḍho, mast jhoolo re.
Vrinton par ban paavak-prasoon foolo re
 Daayen-baayen kaa dvandv aaj bhoolo re.
Saamane pade jo shatru, shool hoolo re.
Vrik ho ki vyaal, jo bhee virudhd aayegaa,
bhaarat se jeevit lauṭ naheen paayegaa.
(nextPage)

BOLTECHITRA 41 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

निजर पिनाक हर का टंकार उठा है,
हिमवन्त हाथ में ले अंगार उठा है,
ताण्डवी तेज फिर से हुंकार उठा है,
लोहित में था जो गिरा, कुठार उठा है.
संसार धर्म की नयी आग देखेगा,
मानव का करतब पुन नाग देखेगा.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

nijar pinaak har kaa ṭnkaar uṭhaa hai,
himavant haath men le angaar uṭhaa hai,
taaṇaḍaavee tej fir se hunkaar uṭhaa hai,
lohit men thaa jo giraa, kuṭhaar uṭhaa hai.
Snsaar dharm kee nayee aag dekhegaa,
maanav kaa karatab pun naag dekhegaa. 
(nextPage)

BOLTECHITRA 42 – रामधारी सिंह “दिनकर” का प्रेरणात्मक हिंदी खंड-काव्य – परशुराम की प्रतीक्षा | INSPIRATIONAL HINDI POEM BY RAMDHARI SINGH ‘DINKAR’ – PARSHURAM KI PRATEEKSHA

हिंदी में :

माँगो, माँगो वरदान धाम चारों से,
मन्दिरों, मस्जिदों, गिरजों, गुरुद्वारों से.
जय कहो वीर विक्रम की, शिवा बली की,
उस धर्मखड़ग, ईश्वर के सिंह, अली की.
जब मिले काल, "जय महाकाल!" बोलो रे.
सत् श्री अकाल! सत् श्री अकाल! बोलो रे.

IN HINGLISH OR PHONETIC :

maango, maango varadaan dhaam chaaron se,
mandiron, masjidon, girajon, gurudvaaron se.
Jay kaho veer vikram kee, shivaa balee kee,
us dharmakhadag, iishvar ke sinh, alee kee.
Jab mile kaal, "jay mahaakaal!" bolo re.
Sat shree akaal! Sat shree akaal! Bolo re.

7-1-1963
७-१-१९६३


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